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श्री कृष्ण की तो राधा और मीरा दीवानी थीं। अपने प्रेम से उन्होंने श्री कृष्ण को प्राप्त कर लिया और सारे जगत में उनका नाम हो गया। उन्हीं की राह पर चलते हुए कृष्णा की एक सेविका उन्हें पाने की कामना से उनके चरणों में क्या विनती करती है। यही बात इस कविता में बताने का प्रयास किया गया है। आइये पढ़ते हैं कृष्ण प्रेम पर कविता :-
कृष्ण प्रेम पर कविता
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ
मुझे न चिंता किसी की अब है
बस चाहिये तेरा साथ,
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
न मैं मीरा न मैं राधा
फिर भी तुझ बिन जीवन है आधा,
बिन तेरे तो मैं ऐसे हूँ
जैसे कोई अनाथ
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
नहीं है कोई लोभ मुझे न दुनिया की परवाह
तू मेरा हो जाये बस मुझे इसी की चाह,
धन्य हो जाये जीवन मेरा
इतना सा मेरा स्वार्थ
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
न इतने पुण्य मेरे कर्मों में
कि स्थान मिले तेरे चरणों में,
तू तो है प्रकाश सांवरे
मैं हूँ अंधियारी रात
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
तेरा हुआ ये तन-मन अब तो तेरे हुए हैं प्राण
बिन तेरे जीना अब तो रहा न है आसान,
जल्दी आओ प्यारे मोहन
हम जोह रहे तेरी बाट
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
मुझे न चिंता किसी की अब है
बस चाहिये तेरा साथ,
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
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धन्यवाद।
1 comment
Aapki ye poetry bahut hi acchhi lgi hai mujhe maanyawar, kripya mujhe anumati de to mai ise apne instagram page par aapke naam ke sath dalna chahti hu 🙏🏻🙏🏻