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नववर्ष पर कविता – में नए साल को लेकर लोगों के मन में उठती आशाओं और उत्कंठा का चित्रण किया गया है। सभी व्यक्ति सोचते हैं कि आने वाला नव वर्ष पिछले साल की अपेक्षा अच्छा होगा, लेकिन सत्य यही है कि आने वाले समय में भी हमारे वर्तमान के कार्यों और चिन्तन की ही झलक होगी। वर्तमान के समय का सदुपयोग करने से ही आने वाला समय सुन्दर एवं सुखद हो सकता है। हमें अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए सभी के लिए मंगलकामना करनी चाहिए।
नववर्ष पर कविता
बढ़ता सबको लीलता, धीरे-धीरे काल।
खत्म हो गया देखते, आज पुराना साल।।
गुजर साल फिर से गया, अपनी यादें छोड़।
समय हाथ आता नहीं, कर लो कितनी होड़।।
नया साल है आ गया, लेकर बदले अंक।
सभी सुखी हों जगत में, रहे न कोई रंक।।
नव चेतन का दे हमें, नया वर्ष उपहार।
नव ऊर्जा का कर रहा, प्राणों में संचार।।
आस खड़ी मुस्का रही, नए साल के द्वार।
कहती होगा बेहतर, पिछले से इस बार।।
टूटे पिछले साल में, जीवन के जो साज।
जोड़ उन्हें इस साल में, दे दें नव आवाज।।
विगत वर्ष की सीढ़ियों, तुमको लाख प्रणाम।
चढ़ तुम पर ही पा सके, नए साल का धाम।।
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