सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सी चीजों के बारे में पढ़ा पर कुछ ज्ञान ऐसा था जो मुझे अपने स्कूल में या आगे की पढ़ाई में नहीं मिल पाया। आज मैं ऐसी ही जानकारी और ज्ञान अलग अलग माध्यम से प्राप्त कर रहा हूँ और मेरी कोशिश है की आप लोग भी ऐसी जानकारी प्राप्त करें जो दुर्लभ है। आइये ऐसी ही एक चीज की जानकारी मैं आपको देता हूँ। वो है “कुमारी कंदम ( Kumari Kandam History In Hindi )”
कुमारी कंदम की कहानी
ज्यादातर लोग प्राचीन यूनानी फिलॉसफर प्लेटो के बारे में जानते होंगे। नहीं जानते तो कोई बात नही हम आगे उनसे भी परिचय करवा देंगे। जो लोग जानते है वो उनके द्वारा बताए गए, डूब चुके पौराणिक शहर अटलांटिक की कहानी से परिचित होंगे। पर क्या आपको पता है ऐसे ही एक पुरानी सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में भी था?
शायद आपको नही पता होगा,क्योकि ये अटलांटिक से कम प्रसिद्ध है। और भारतीय पुरातत्व इस दिशा में काम कर रही है या नही ये नही पता। और भारत के किसी भी स्कूल के पाठ्यक्रम में भी इसका वर्णन नही है। इसीलिए अप्रतिम ब्लॉग के पाठको के लिए हमने ये रोचक और रहस्यमयी जानकारी ढूँढने की कोशिश की है।
ये खो चुके महाद्वीप Lemuria, के नाम से जाना जाता था। तमिल खोजकर्ताओं द्वारा इसे कुमारी कंदम की कहानी से जोड़ा गया है। कुमारी कंदम आज के भारत के दक्षिण में स्थित, हिंद महासागर में एक खो चुकी काल्पनिक तमिल सभ्यता को दर्शाता है। इसे कुमारी कंदम व कुमारी नाडू के नाम से भी जाना जाता है।
19वीं सदी में, अमरीकी और यूरोपीय विद्वानों के एक वर्ग ने अफ्रीका, भारत और मेडागास्कर के बीच जियोलाजिकल और अन्य समानताएं समझाने के लिए जलमग्न हो चुके एक महाद्वीप का अनुमान लगाया है। और उसे Lemuria का नाम दिया। तमिल पुनर्जागरण वादियों के एक वर्ग ने तमिल और संस्कृत साहित्य के आधार पर, समुद्र में खो चुकी उस भूमि को पांडियन महापुरुषों के साथ जोड़ते हैं।
लेखकों के अनुसार, एक तबाही के कारण समुद्र में खो जाने से पहले Lemuria पर तमिल सभ्यता का अस्तित्व था। जब Lemuria के बारे में जानकारी देने वाले खोजकर्ता भारत के नगरों में पहुंचे, तब उस समय भारत के लोकगीतों में इतिहास के साथ उस खो चुकी सभ्यता का भी वर्णन होता था। नतीजतन, Lemuria जल्द ही कुमारी कंदम के बराबर हो गया।
कुमारी कंदम मात्र एक कहानी नहीं है। यह राष्ट्रीयता की भावनाओं से ओत प्रोत है। ऐसा माना जाता है की कुमारी कंदम के पांडियन राजा पूरे भारतीय महाद्वीप के शासक थे और तमिल सभ्यता विश्व की सब सभ्यताओं से पुरानी है। जब कुमारी कंदम जलमग्न हुआ, तो वहां के वासी सम्पूर्ण विश्व में फैल गए और कई नई सभ्यताओं को जन्म दिया। इस तरह कहा जाता है की ये डूबा हुआ महाद्वीप मानव सभ्यता का पालन हार है।
कितनी सच है Kumari Kandam की कहानी?
भारत के समुद्र विज्ञान के राष्ट्रीय संस्थान में शोधकर्ताओं के अनुसार 14500 साल पहले समुद्र का स्तर आज से 100मीटर नीचे था और 10000 साल पहले 60 मीटर नीचे था। इसलिए यह पूरी तरह संभव है कि वहाँ एक बार श्रीलंका के द्वीप जोड़ने के लिए एक भूमि पुल था।
पिछले 12 से 10 हज़ार सालों में समुद्र के बढ़ते हुए स्तर ने आवधिक बाढ़ का काम किया । इस तरह ये महाद्वीप जलमग्न हो गया।
कुमारी कंदम के अस्तित्व का समर्थन करने के लिए एक सबूत Palk Strait में स्थित श्रीलंका की मुख्य भूमि को भारत से 18 मील की दूरी को जोड़ने वाला चूना पत्थर, रेत, गाद और छोटे कंकड़ से बना बलुआ रेत की एक श्रृंखला, एडम ब्रिज ( राम सेतु भी कहा जाता है), है।
पहले इस भूमि के टुकड़े को प्राकृतिक एक चित्र से पता चलता है की यह एक टूटा हुआ पुल है जो महासागर में समा चुका है। इस पुल का जिक्र धार्मिक ग्रन्थ रामायण में भी है । जिसके अनुसार इस सेतु की रचना भगवान राम के देख रेख में लंका जाने के लिए की गयी। अभी तक इन सबको मिथ्या ही माना जाता है, पर इस मिथ्या के पीछे सच्चाई का अनुभव जरूर होता है लेकिन सच्चाई कितनी है ये देखा जाना अभी बाकी है।
रोचक जानकारियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :-
- पृथ्वी कैसे बनी – पृथ्वी की आत्मकथा, उत्पत्ति, संरचना,और निबंध
- सूरज के बारे में 30 रोचक जानकारियां
- तारे क्या हैं? तारों से जुडी रोचक जानकारियां
- चाँद से जुड़ी रोचक जानकारी
उम्मीद है ये लेख ” Kumari Kandam History In Hindi ” आपको पसंद आया होगा। अगर आपको ये लेख पसंद आया और आप चाहते हैं की ऐसी जानकारी हम आपको देते रहें तो कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर लिखें।
धन्यवाद।
8 comments
That's a really too good yar
Thanks Piyush sachan ji….
लेमोरिइन सभ्यता का जिक्र बोरिसका रुसी बच्चा जो खुद को मंगल ग्रह का वासी बताता है करता है उसके अनुसार इस सभ्यता के लोग आज से लगभग 75 हजार साल पहले रहते थे जिनका कद 9मीटर होता था
क्या यह सत्य है???
अगर आपने उसका इंटरव्यू देखा हो तो उसमे वो खुद कोई जवाब नहीं दे रहा है। सारे जवाब उसकी माँ द्वारा दिए जा रहे हैं। उसकी की गयी भविष्यवाणी की 2009 या 2013 में धरती पर तबाही होगी, भी झूठी निकली। इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है। यह मात्र गलत ढंग से प्रसिद्धि पाने का एक घटिया तरीका है। एक पूरी तरह काल्पनिक और रोचक कहानी है।
कोई वैज्ञानिक तथ्य के साथ भी इस संबंध मे लेख प्रस्तुत करे। आभार।
अनीश कटकवार जी आपके इस निवेदन पर हम कार्य जरूर करेंगे और बहुत जल्द वैज्ञानिक तथ्यों से पूर्ण एक लेख आपकी सेवा में प्रस्तुत करेंगे। इसी तरह अपने विचार देते रहिये और हमारे ब्लॉग से जुड़े रहिये।
आपका अति धन्यवाद।
Thenk You….
Your welcome..Pawan Soni