शायरी की डायरी, हिंदी कविता संग्रह

झूठी दुनिया के झूठे लोग – मतलबी रिश्तों पर संदीप कुमार सिंह का शायरी संग्रह


आप पढ़ रहे है संदीप कुमार सिंह की  मतलबी रिश्तों और दोगले इंसानों पर आधारित  “झूठी दुनिया के झूठे लोग शायरी संग्रह ” :-

झूठी दुनिया के झूठे लोग

 

झूठी दुनिया के झूठे लोग

1.

न परेशानियां, न हालात, न ही कोई रोग है,
जिन्होंने हमें सताया है कोई और नहीं वो झूठे लोग हैं।


2.

झूठे लोगों की दुनिया में सच्चाई की कीमत कौन जानेगा,
टूट कर बिखर जाएगा जो इनसे उलझने कि ठानेगा,
भलाई है दूर रहें ऐसे लोगों से जो अच्छाई का नाटक करते हैं
धकेल देंगे ये बुरे दौर अँधेरे में जो गिरेगा निकल न पाएगा।


3.

मुस्कुराहटें चेहरों पर और दिल में फरेब है,
बातों के धनी हैं खाली इनकी जेब है
अजीब है ये झूठे लोग जो इधर-उधर घूमते हैं
समझते हैं जिसे ये खासियत अपनी वही इनका ऐब है।
(ऐब = दोष)


4.

पल भर लगता है किसी को अपना मानने में
इक उम्र लग जाती है फिर उन्हें जानने में
नकाब अच्छाई का रहता है छिपे हुए चेहरे में
देर लग ही जाती है अक्सर झूठे लोगों को पहचानने में।


5.

झूठी दुनिया के झूठे फ़साने हैं
लोग भी झूठे और झूठे ज़माने हैं
धोखे मिलते है हर कदम पर यहाँ
हर तरफ भीड़ है लेकिन अफ़सोस सब बेगाने हैं।


6.

ख्वाबों की दुनिया में अक्सर कोई आहत देता है,
दूर कर ग़मों को अक्सर चेहरे पर मुस्कराहट देता है
मगर अफ़सोस वो दुनिया और वहां के लोग झूठे हैं
वहां बिताया इक इक पल फिर भी अक्सर दिलों को राहत देता है।


7.

सच्चाई बिक रही है इस झूठी दुनिया में
सच बोलने के लिए झूठे लोग बिकते हैं
कौन सुनता है चीखें मजबूर गरीब लाचारों की
जिसके पास ताकत है दौलत की वहीं इंसाफ टिकता है।


8.

बातें विश्वास और भरोसे की बेमानी सी लगती हैं,
झूठी दुनिया में वफादारी अनजानी सी लगती है
झूठे लोगों से भरी पड़ी हैं कहानियां यहाँ किताबों में
प्यार से बोल दे कोई तो मेहरबानी सी लगती है।


9.

दिखा दी है शीशे ने असलियत झूठे लोगों की
बनावटी चेहरे पहन कर अक्सर जो झूठी दुनिया में घूमते हैं।


10.

मैं भी झूठा, तू भी झूठा, झूठी है दुनिया सारी
झूठे हैं ये लोग सभी, झूठे हैं नर-नारी
झूठ ही सबका दाता, सबका झूठ ही पालनहार है
ऐसा कलयुग आया देखो झूठ हुआ सच पर भारी है ।


पढ़िए – झूठी दुनिया झूठे लोग- हिंदी कविता

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धन्यवाद।

32 Comments

  1. वाह क्‍या बात है, एक से बढ़ कर एक रचनाओं की प्रस्‍तुति। आपकी इस रचना के माध्‍यम से मुझे झूठ नगर की अजब गजब दुनिया से रूबरू होने का मौका मिला। इसके लिए आपका धन्‍यवाद।

    1. धन्यवाद जमशेद आज़मी जी,
      आप जैसे पाठकों का प्यार ही है जिसके कारण मैं यह सब लिख पता हूँ। इसी तरह प्यार बरसाते रहिये। जिस से हम और सुन्दर लखनी का प्रदर्शन कर सकें।
      धन्यवाद।

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