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उम्र पर कविता :- रेत सी फिसलती है | उम्र के बारे में कविता

by ApratimGroup
3 minutes read

उम्र पर कविता में पढ़िए कैसे बीत जाती है उम्र फिसलती रेत की तरह और हमें बीती हुयी उम्र यूँ लगती है जैसे अभी कल ही निकली हो। उन्हीं बीतें पलों को याद करती हुयी यह कविता आपके सामने प्रस्तुत है ” उम्र पर कविता ” :-

उम्र पर कविता

उम्र पर कविता

बचपन की सब ख्वाहिशें
छोटे मन में मचलती है।
पाकर लाड़ प्यार फिर
मस्ती में उछलती है।
पहुँच जाती है जवानी में
फिर आता है बुढ़ापा
ये उम्र है, रोज हाथ से
रेत सी फिसलती है।

छोटा या बड़ा हो सबकी
एक साथ ही बढ़ती है।
सूरज की रौशनी सी
हर शाम को ही ढलती है।
कर न गुरुर खुद पर
खुद भी ख़ाक हो जाएगा
ये उम्र है, रोज हाथ से
रेत सी फिसलती है।

मौत न जाने इस जग में
कब किसे निगलती है।
रंग बिरंगी ये जिंदगी
हर पल ही बदलती है।
एक सा हश्र होता है
गरीब और अमीर का
ये उम्र है, रोज हाथ से
रेत सी फिसलती है।

सदभाव रखा जिसने
इज्ज़त उसको मिलती है।
जो न अच्छा बोलता
उस से दुनिया जलती है
सत्कर्म की राह चलो तो
बड़े आराम से कटती है
ये उम्र है,रोज हाथ से
रेत सी फिसलती है।

पढ़िए :- कविता “कल आज और कल”


harish chamoliमेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

‘ यह भारत रोता रहता है ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ [email protected] पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

8 comments

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मनमोहन डिमरी नवम्बर 17, 2022 - 8:48 पूर्वाह्न

बहुत सुंदर शब्दों से परिपूर्ण रचना…मन करता है कि कहीं शेयर करूं।
आपकी कलम यूं ही चलती रहे ऐसी कामना करता हूं।

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Aditya motivation अप्रैल 18, 2020 - 4:16 अपराह्न

Sir YouTube per video bana Skta hu plz

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 20, 2020 - 4:30 अपराह्न

Contact us on [email protected] or on whatsapp at 9115672434

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Balbir Rana Adig फ़रवरी 2, 2020 - 9:31 पूर्वाह्न

हरीश भुला भौत सुंदर उम्र अर वेका चलन पर बड्या अभिव्यक्ति सदुवाद उत्तम सृजन का वास्ता

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हरीश चमोली अक्टूबर 1, 2019 - 5:39 पूर्वाह्न

आप सभी सज्जनों की प्रतिक्रियाओं के लिए ह्रदय तल से आभार.

हरीश चमोली

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akshay kumar जनवरी 28, 2019 - 2:20 अपराह्न

i like it

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 30, 2019 - 8:47 अपराह्न

Thanks Akshay ji…

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Aryan जनवरी 11, 2019 - 10:23 पूर्वाह्न

waah maja aagaya

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