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बचपन की यादें कविता :- बचपन के दिनों पर छोटी कविता | Bachpan Par Kavita


बचपन जीवन का सबसे सुंदर हिस्सा है। ये वो समय होता है जब हमारी एक अलग ही दुनिया होती है। न जिंदगी की भाग-दौड़ और न ही किसी चीज की चिंता। बस अपने में ही मस्त रहना। वो बारिश में झूमना, मिटटी में खेलना, माँ की लोरियां और पिता की डांट। जवानी में तो बस ये सब एक ख्वाब की तरह ही लगता है। फिर दिल एक सवाल करता है क्या यही जीना है? जब बचपन याद आता है तो एक पल को दिल करता है कि फिर से वो बचपन वापस आ जाए। पर ऐसा हो नहीं सकता। बचपन की यादें हमें अक्सर रुला जाती हैं। बचपन की उन्हीं यादों पर आधारित ये कविता मैंने लिखी है :- ‘ बचपन की यादें कविता ‘

बचपन की यादें कविता

बचपन की यादें कविता

मेरी आँखों से गुजरी जो
बीते लम्हों की परछाईं,
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

वो बचपन गुजरा था जो
घर के आंगन में लुढ़कता सा
मैं भीगा करता था जिसमें
वो सावन बरसता सा,
याद आई मुझे
माँ ने थी जों कभी लोरियां गाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

उम्र छोटी थी पर सपने
बड़े हम देखा करते थे
ये दुनिया प्यारी न थी
हम तो बस खिलौनों पे मरते थे,
जब देखा मैंने वो बचपन का खजाना
किताब, कलम और स्याही
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

याद आया मुझे
भाई-बहनों के संग झगड़ना
शैतानियाँ कर के माँ के
दमन से जा लिपटना,
साथ ही याद आई वो बातें
जो माँ ने थी समझाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

आज तन्हाई में जब
वो मासूम बचपन नजर आया है
ऐसा लगता है जैसे
खुशियों ने कोई गीत गुनगुनाया है,
पर जब दिखा सच्चाई का आइना
तो फिर हुयी रुसवाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
झट से भर आयीं।

पढ़िए कविता :- बचपन को ढूँढने बैठा हूँ।

अगर आपको यह कविता पढ़ कर अपना बचपन याद आया हो तो कमेंट बॉक्स में अपना अनुभव अवश्य लिखें। अगर आपने भी लिखी है बचपन पर आधारित कोई कविता तोअक्षित करवाने के लिए हमें भेजें।

पढ़िए बचपन से संबंधित कविताएं :-

धन्यवाद।

26 Comments

  1. याद आता है बचपन।

    पग पग कर चलना,
    ठुमक ठुमक कर नाचना।
    वो छोटू सा था तन,
    याद आता है बचपन।।

    मां की लोरी सुन सोना,
    तो मां के भोर गीत सुन जागना।
    बड़ा ही संगीतमय होता था मन,
    याद आता है बचपन।।

    पापा को घोड़ी बनवाना,
    तो भाई को अपने पीछे दौड़ना।
    कितना भगम – भाग वाला था बचपन,
    याद आता है बचपन।।

    वो थोड़ा – थोड़ा तोतलाना,
    तो मुंह में मिट्टी को छुपाना।
    वो दृश्य था बड़ा ही लुभावन ,
    याद आता है बचपन।।

    पल में कट्टी होना ,
    तो पल में दोस्ती होना।
    कितना सरल होता था मन,
    बहुत याद आता है बचपन।।

  2. My Poem On Childhood….

    पल-पल याद आती है मधुर बचपन तेरी|
    हजारों यादें भरी है तुम में मेरी||
    जब तू था निर्भय संसार था मेरा|
    चिंता रहित खेलना, फिरना ऐसा संसार था मेरा||
    नादान बचपन में छुआ-छूत किसने जानी|
    हर वक्त बस खेलने की ही ठानी||
    बचपन में हम हवाओं से बातें किया करते थे|
    चांद सितारों पर जाने के सपने सजाया करते थे||
    उस कटी पतंग के पीछे दूर-दूर तक भागते थे|
    ना हाथ आए तब भी खुशी से नाचते थे||

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