Home » हिंदी कविता संग्रह » माँ की कोख :- शुभा पाचपोर द्वारा लिखी गयी कविता | Maa Ki Kokh Kavita

माँ की कोख :- शुभा पाचपोर द्वारा लिखी गयी कविता | Maa Ki Kokh Kavita

by ApratimGroup
3 minutes read

माँ की महिमा को सारा जहां गाता है। माँ पर रचनाएं भी रची गयी हैं। लेकिन जिस प्रकार की रचना आज आपके लिए शुभा पाचपोर जी ने भेजी है। वैसी रचनाएँ बहुत ही कम और अद्भुत लोग लिखते हैं। जी हाँ, ये कविता उन लम्हों की है जब हम इस दुनिया में आये भी नहीं होते। तो आइये पढ़ते हैं शुभा पाचपोर जी की माँ पर ये रचना माँ की कोख  :-

माँ की कोख

माँ की कोख

ईश्वर ने रचना की अदभुत
वही एक जगह जहां
जगदीश है सब कुछ,
सृष्टि ने मुझको
माँ की कोख में लाया
स्वर्ग सी जगह मैंने
अपने को पाया
मद्धम प्रकाश उजला साया
प्रेम के रक्त से सिंचित मेरी काया,

मैं अकेला…..
पर माँ थी मेरा संसार
भयानक जग से छुपाकर
रखा था मेरा अवतार,

मां के ह्रदय की धड़कन का माधुर्यपन
प्रत्येक धड़कन में था मेरा जीवन
माँ से जोड़ने वाली थी एक डोरी सुन्दर
नाल मुझे बेल की तरह लिपटी अन्दर,

माँ की आवाज़ से
ओंठ मुस्कराते
कान केवल तुम्हारी
आवाज़ सुनने को तरस जाते,
अपने को कितने जतन से रखती
मुझे जिंदगी मिले
इसी कशमकश में रहती,

जन्म देते वक्त
झेले अनेक त्रास
मुझे मिले नयी जिंदगी
यही था अट्टहास,
ये महीने दुबारा नहीं आयेंगे
तुम्हारे बिना हम भी
जी नहीं पाएंगे
जी नहीं पाएंगे… माँ।

पढ़िए पुत्री से संबंधित ये रचनाएं  :-


शुभा पाचपोरमेरा नाम शुभा पाचपोर है । मैं रायपुर, छत्तीसगढ़ में रहती हूँ। मैं एक गृहणी हूँ। मैंने गृह विज्ञान में परास्नातक (Masters in Home Science) की डिग्री ली है। इसके साथ-साथ मुझे  कवितायें लिखने का शौंक है।

इस कविता ‘ माँ की कोख ‘ के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिस से मुझे आगे लिखने की प्रेरणा और उत्साह मिलता रहे।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.