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पढ़ाई पर कविता में हम पढ़ेंगे आज की शिक्षण पद्धति के बारे में। आज की शिक्षा व्यवस्था के बारे में कौन नहीं जानता। शैक्षणिक संस्थान आज एक व्यापारिक संस्थान भर बन कर रह गए हैं। जिस संस्थान का अच्छा नतीजा होता है वही सबसे आगे रहता है। आज हर स्कूल का मुख्या उद्देश्य अच्छे इन्सान बनाना नहीं अच्छा रिजल्ट लाना भर है। जिससे शिक्षा आज के बच्चों के लिए बोझ बनती जा रही है। और इससे समाज को बहत नुकसान हो रहा है। इसी तथ्य को हमने इस पढ़ाई पर कविता के जरिये आपके सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आये पढ़ते हैं पढ़ाई पर कविता :-
पढ़ाई पर कविता
बचपन से पीछा करती है
बहुत करे हमको परेशान,
कोई आकर हमें बचाए
पढ़ाई हमारी लेती जान।
बाल मजदूरी जुर्म है पर
बस्तों का बोझ उठाते हैं
पढ़ाई के नाम पे हमको
सारी किताबें रटाते हैं,
होता है हर रोज हमारा
खूब किताबों से घमासान
कोई आकर हमें बचाए
पढ़ाई हमारी लेती जान।
हमसे कभी न कोई पूछता
आखिर क्या हैं हमारे ख्वाब
सुनना जो सब चाहें बस वही
अपनी जुबाँ पे रहे जवाब,
उठा किताबें आए नींद
कहते लोग ये देतीं ज्ञान
कोई आकर हमें बचाए
पढ़ाई हमारी लेती जान।
डॉक्टर बनता कोई पढ़ कर
इंजिनियर है कोई बनता
इंसान बने हम पढ़ लिख कर
ऐसे ख्वाब न कोई बुनता,
स्कूल बने हैं इस युग में
आधुनिक व्यापारिक संस्थान
कोई आकर हमें बचाए
पढ़ाई हमारी लेती जान।
चाह यदि इतनी हो हमारी
बेहतर हो हमारा समाज
सबसे पहले सुधारना होगा
हमें अपना ये चलता आज,
सच्ची शिक्षा का प्रसार हो
कोई न गाये फिर ये गान
कोई आकर हमें बचाए
पढ़ाई हमारी लेती जान।
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