Home » हिंदी कविता संग्रह » रोगी भोगी योगी कविता – सोचो उनकी दिनचर्या में कैसी श्रद्धा होगी ?

रोगी भोगी योगी कविता – सोचो उनकी दिनचर्या में कैसी श्रद्धा होगी ?

by ApratimGroup
3 minutes read

आप पढ़ रहे हैं रोगी भोगी योगी कविता :-

रोगी भोगी योगी कविता

रोगी भोगी योगी कविता

सोचो उनकी दिनचर्या में कैसी श्रद्धा होगी,
तीन लोग ना रात में सोते रोगी, भोगी, योगी,
कुछ तो मानो अपने आप में होते हैं मनमौजी,
तीन लोग ना रात में सोते रोगी, भोगी, योगी।

दिन में उजाला भेद दिखाता,
सब कुछ अलग-अलग हो जाता,
और रात अंधेरा एक तरह का,
फ़रक कोई ना हमें बताता,
मिले उसी को जिसने अपनी जात-पात ना खोजी,
तीन लोग ना रात में सोते रोगी, भोगी, योगी।

रोगी तो होता रोग ग्रस्त,
काम में सारा दिन व्यस्त,
रात को करना जब विश्राम,
ऊर्जा हो जाती है नष्ट,
रोग किसी को छोड़े ना चाहे हो सरहद का फौजी,
तीन लोग ना रात में सोते रोगी, भोगी, योगी।

भोगी खोजे सुख आराम ,
सोने से भी बढ़कर काम ,
उसकी लालसा बढ़े रात को ,
पीकर कोई नशीला जाम ,
इतना खो जाता है ख़ुद में जैसे हो ख़ामोशी ,
तीन लोग ना रात में सोते रोगी, भोगी, योगी।

योगी ध्यान में मगन रहे जी,
तभी रात का जगन रहे जी,
रात शांति छोर कोई ना,
परम पिता से बात कहे जी,
यशु जान ने यही कहा योगी होता सहयोगी,
तीन लोग ना रात में सोते रोगी , भोगी , योगी।


yashu jaanयशु जान (9 फरवरी 1994-) एक पंजाबी कवि और अंतर्राष्ट्रीय लेखक हैं। वे जालंधर शहर से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं। उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं।

उनकी कविताएं और रचनाएं बहुत रोचक और अलग होती हैं। उनकी अधिकतर रचनाएं पंजाबी और हिंदी में हैं और पंजाबी और हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पर हैं। उनकी एक पुस्तक ‘ उत्तम ग़ज़लें और कविताएं ‘  के नाम से प्रकाशित हो चुकी है। आप जे. आर. डी. एम्. नामक कंपनी में बतौर स्टेट हैड काम कर रहे हैं और एक असाधारण विशेषज्ञ हैं।

उनको अलग बनाता है उनका अजीब शौंक जो है भूत-प्रेत से संबंधित खोजें करना, लोगों को भूत-प्रेतों से बचाना, अदृश्य शक्तियों को खोजना और भी बहुत कुछ। उन्होंने ऐसी ज्ञान साखियों को कविता में पिरोया है जिनके बारे में कभी किसी लेखक ने नहीं सोचा, सूफ़ी फ़क़ीर बाबा शेख़ फ़रीद ( गंजशकर ), राजा जनक,इन महात्माओं के ऊपर उन्होंने कविताएं लिखी हैं।

‘ रोगी भोगी योगी कविता ‘ के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.