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पर्यूषण पर्व, जैन धर्मावलंबियों द्वारा भाद्रपद मास मे मनाया जाने वाला पर्व है। यह जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो 8 दिन तक चलता है। 8 वें दिन जैन धर्म के लोगों का महत्वपूर्ण त्यौहार संवत्सरी पर्व मनाया जाता है। आइए पढ़ते हैं इसी विषय महापर्व पर्यूषण पर कविता
महापर्व पर्यूषण पर कविता
जप तप क्षमा प्रेम संयम का
महापर्व है पर्यूषण,
यह जन को निज व्यवहारों का
करवाता है विश्लेषण।
आत्म – शुद्धि का प्रेरक है यह
चेतनता का आराधक,
महापर्व यह कर्म – शत्रु का
सहज रूप से है नाशक।
दस लक्षण जो रहे धर्म के
आत्म – शुद्धि वे नित करते,
कर्म – कषायों के इनसे ही
बन्धन जर्जर हो झरते।
पर्व अलौकिक देता है यह
समभावों का नव चिंतन,
यत्न यही हो हमसे पीड़ित
नहीं किसी का हो जीवन।
द्वेष जनित जो कर्म हो गए
कर लें उनका प्रायश्चित,
भावी जीवन रहे न जिससे
भव – बाधा से अभिशापित।
अपनी भूल मानने का यह
देता है स्वर्णिम अवसर,
क्षमा करें हम दोष अन्य के
सद्भावों को मन में भर।
बाह्य जगत के आकर्षण से
सभी इन्द्रियाँ परे हटाकर,
अपने भीतर की दुनिया में
लौट चलें इस महापर्व पर।
रहे विश्व में शांति अहिंसा
नहीं कहीं पर भी हो रण,
नैतिकता के आदर्शों को
हमें सिखाता पर्यूषण।
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