आप पढ़ रहे हैं गणेश चतुर्थी के अवसर पर विघ्नहर्ता मंगलकर्ता गणपति जी को समर्पित ( Ganesh Ji Ki Kavita ) ” गणेश चतुर्थी पर कविता ”
गणेश चतुर्थी पर कविता
मंगलमूर्ति गजानना,
सुखकर्ता गणनाथ ।
जग में उसका नाम हो,
तुम हो जिसके साथ ।।
शिव-गौरी के लाल जो,
लम्बोदर कहलाय ।
मन से जो पूजा करे,
भक्त वो बुद्धि पाय ।।
लड्डू जिसकोे प्रिय लगे,
गणपति हे एकदंत ।
सबपे हो तेरी कृपा,
तेरी कथा अनंत ।।
आज्ञा पालन मातु के,
दीन्हा शीश कटाय ।
वचन दिया जो मात को,
टूट नहीं वो पाय ।।
चरणों में माँ-बाप के,
बसते चारों धाम ।
दुनियां को यह सीख दी,
बारम्बार प्रणाम ।।
जग में तब से आपकी,
पहली पूजा होय ।
ले आपका नाम शुरू,
काज करे सब कोय ।।
विघ्नहर्ता तुम पर है,
भक्तन को विश्वास ।
बड़ी कृपा हो गर मिले,
शुभ चरणों में वास ।।
गणपति बप्पा मोरया,
गूंजे नभ में आज ।
मूषक पर आ बैठके,
मंगल कर सब काज ।।
पढ़िए :- गणेश चतुर्थी और उनके जन्म की कथा भाग – १

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धन्यवाद।
2 thoughts on “गणेश चतुर्थी पर कविता – मंगलमूर्ति गजानना | Ganpati Kavita”
चरणों में मा बाप के बसते चारो धाम…बहुत ही बढ़िया….धन्यवाद
सुन्दर स्तुति