Home » हिंदी कविता संग्रह » किसीकी याद में कविता :- और फिर तेरी याद आयी | Yaad Kavita

किसीकी याद में कविता :- और फिर तेरी याद आयी | Yaad Kavita

by ApratimGroup
4 minutes read

किसीकी याद में कविता बताती है कि कैसे जब हम किसी से बिछड़ जाते हैं तो आस-पास की हर चीज उसकी याद दिलाने लगती है। हम उसे जितना भूलना चाहते हैं फिर वो उतना ही याद आता है। आइये पढ़ते हैं इन्हीं भावनाओं से भरी “किसीकी याद में कविता ” :-

किसीकी याद में कविता

किसीकी याद में कविता

देखकर हसीन वादियों को,
मन में इक खुशहाली छाई।
ओंस की महकी बूंदों ने थी,
मुझे तेरी सूरत दिखलाई।
सतरंगी अक्स दिखा तेरा,
मुझे  इंद्रधनुष के रंगों में।
देखकर उसे गुम हो गए,
और फिर तेरी याद आयी।

सूरज की उजली किरणों में,
तेरी परछाई कुछ यूँ शरमाई।
गुनगुनी इस धूप ने मन में,
फिर प्रेम की चाहत जगाई।
पेड़ की छाँव में बैठ मुझे,
वो बीते लम्हें महसूस हुवे।
अब यादों में बस थी तन्हाई
और फिर तेरी याद आयी।

मखमली बर्फ पर सुबह ने,
जब धूप की चादर बिखराई।
फिर तेरा मासूम सा चेहरा,
हर ओर दिया मुझे दिखाई।
टहलते हुवे उस बर्फ में मुझे,
उन लम्हों का अहसास हुवा।
सरसराहट सी हुई तन में,
और फिर तेरी याद आयी।

शाम का ये मौसम सुहाना,
आसमाँ में  लालिमा छाई।
अस्त होते सूरज को देख,
मेरी आंखें  थी भर आयी।
जो मोहब्बत सूर्य सी जली,
शाम ढलते ही बढ़ने लगी।
धड़कनें मेरी बढ़ गयी जब,
और फिर तेरी याद आयी।

जवां सर्द मौसम ने फिर से,
बदन में एक ठिठुरन जगाई।
तन्हा भिगो रहा था पलकें,
तेरी याद फिर से चली आई।
तकिये में किया ख्याल तेरा,
रजाई बनी तेरी परछाई।
सुबह टूटा जब ख़्वाब मेरा,
और फिर तेरी याद आयी।

साथ न तुझको भाया मेरा,
जो मोहब्बत न निभा पाई।
छोड़ दिया मुझको ऐसे ही,
देकर साथ सिर्फ तन्हाई।
कैसे जिंदगी काटूँ मैं अब,
न उम्मीद तेरी है आने की।
टूटता हुवा खुद को पाया,
और फिर तेरी याद आयी।

पढ़िए अपनों की यादों को समर्पित यह कविताएं :-


harish chamoliमेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

‘ किसीकी याद में कविता ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.