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सपने पूरे कर छोड़ूंगा | प्रेरक हिंदी कविताएँ | Motivational Hindi Poems

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

ऐसा कोई सपना नहीं है जो पूरा नहीं किया जा सकता। बस उस सपने को पूरा करने कि जिद हो तो रस्ते अपने आप बनते चले जाते हैं। अपने मन को हमेशा इस बात के लिए तैयार रखना चाहिए कि सपने पूरे करने के लिए ही होते हैं। और अब एक सपने के पीछे लग जाओ तो हमेशा गुनगुनाते रहो :- “सपने पूरे कर छोड़ूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।”

सपने पूरे कर छोड़ूंगा

सपने पूरे कर छोड़ूंगा | प्रेरक हिंदी कविताएँ

न बोलूँगा न देखूंगा दुनिया से नाता तोडूंगा
न रुकना है न थकना है सपने पूरे कर छोडूंगा ,
मैं जान फूंक दूंगा अब तो अपना रास्ता न मोडूँगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।

टकराना है चट्टानों से भिड़ना है जा मैदानों में
जुड़ना है धरती से मुझे उड़ना है आसमानों में,
रोक सके जज़्बात मेरे अब दम है कहाँ तुफानो में
देर लगे चाहे मुझको राहों से मुख न मोडूँगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।

है सब्र का फल मीठा लेकिन है सब्र कहाँ इंसानों में
हो लक्ष्य न जिसका जीवन में रहता है यो श्मशानो में ,
मेरा दर्द क्या जानेगा कोई है कई राज छुपे मुस्कानों में
टकराऊंगा हर दीवार से मैं पर हाथ कभी न जोडूंगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।

जब तक पूरे हो न जाएँ है चैन कहाँ अरमानों को
लगे न फल जब पेड़ों में जाता है कौन बागानों को ,
मन में जब है ठान लिया रोकेगा कौन दीवानों को
रच के मैं इक पाठ नया पन्ना इतिहास में जोडूंगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।

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धन्यवाद।

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9 comments

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Zoya जून 28, 2022 - 5:11 अपराह्न

Very inspiring *
Ise padh k asa lga jaise aaj hi apne sapne pure kar lungi ❤
Its good👍

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Pravendra Singh अगस्त 1, 2021 - 11:39 पूर्वाह्न

आपकी कविताएं बहुत ही प्रेरणा दायक होती मुझे बहुत पसंद हैं

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 12, 2021 - 2:43 अपराह्न

Thanks Pravendra Singh ji…

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B.R.Singh सितम्बर 12, 2017 - 8:42 अपराह्न

Really ! Sandeep kumar ji it's great.
Aap ki Kavitayen har Dil ko chuleti hai.
B.Ramesh Singh.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 13, 2017 - 6:30 पूर्वाह्न

धन्यवाद B.Ramesh जी।

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Ankit Gujjar मई 16, 2017 - 7:00 पूर्वाह्न

टॉप है जी गजब

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 16, 2017 - 8:25 अपराह्न

बहुत-बहुत धन्यवाद Ankit Gujjar जी…..

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ashutosh singh ranawat फ़रवरी 24, 2017 - 1:37 अपराह्न

waah sahab kya likha hai.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 24, 2017 - 1:45 अपराह्न

Dhanyawad ashutosh singh ranawat ji…….

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