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सफलता पर शायरी – सफलता की शायरी | Safalta Shayari Hindi

by Sandeep Kumar Singh
9 minutes read

Safalta Shayari – सफलता पर शायरी उन लोगों के लिए है। जो लोग तरक्की प्राप्त करने के लिए मेहनत करने की ठान लेते हैं और एक न एक दिन सफलता जरूर प्राप्त कर लेते हैं। सफलता प्राप्त करने के बाद इंसान उस दुनिया में पहुँच जाता है जिस दुनिया के वो अक्सर ख्वाब देखा करता था। तब उसे कैसा महसूस होता है और वह क्या-क्या सोचता है। इस अनुभूति को हम आपके सामने शायरी के रूप में पेश कर रहे है। पेश है – शायरी संग्रह ‘ सफलता पर शायरी ‘।

Safalta Shayari
सफलता पर शायरी

सफलता पर शायरी - सफलता की शायरी | Safalta Shayari Hindi

1.
सूरज की तपिश और बेमौसम बरसात को हमने हंस कर झेला है,
मुसीबतों से भरे दलदल में हमने अपनी जिंदगी को धंस कर ठेला है,
यूँ ही नहीं कदम चूम रही है सफलता आज इस खुले आसमान तले
ज़माने भर के नामों को पीछे छोड़ा है तब जाकर हमारा नाम फैला है।


2.
मिट जाता, बर्बाद हो जाता या बदनाम हो जाता मै,
सफलता की राहों पे गुमनाम हो जाता मैं,
शुक्रगुजार हूँ उस खुदा का जिसने हर कदम साथ दिया
कहाँ पहुँचता वरना इस मुकाम पर, इक मौत आम हो जाता मैं।


3.
चमक रहा हूँ जो सूरज का की तरह तो सब हैरान हैं क्यों?
मेरी कामयाबी से सब इतना परेशान हैं क्यों?
हर रात टकराया हूँ मैं इक नई मुसीबत से नई सुबह के लिए
सबको दिखा हुनर मेरा लेकिन
किसी ने न पूछा की ये जख्मों के निशान हैं क्यों?


4.
मिली जो मंजिल तो कारवां भी बड़ा लग रहा था,
वरना सफ़र में हर शख्स मुझे ठग रहा था,
यूँ ही नहीं पहुंचा हूँ आज मैं इस मुकाम पर
जब सो रहा था ये ‘जग’ तब मैं ‘जग’ रहा था।
जग1 = दुनिया, जगत
जग2 = जागना


5.
कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते,
मंजिलें उन्हीं को नहीं मिलती जिनके इरादे अच्छे नहीं होते,
रूखी-सूखी रोटी और धक्के तो बहुत खाए हैं जिंदगी में लेकिन
आज देख रहा हूँ कि सफलता के फल कभी कच्चे नहीं होते।


6.
चमक रहा है सितारा आज ज़माने में मेरे नाम का
मिल गया हैं नतीजा मुझे मेरे काम का,
किसी चीज की जरूरत न रही मुझे
जबसे नशा चढ़ गया है मुझे सफलता के जाम का।


7.
गिरा रही थी जिंदगी मुझे बार-बार अलग-अलग ठोकरों से,
बर्ताव कर रहा हो जैसे कोई मालिक अपने नौकरों से,
हिम्मत और हौसले को मैंने फिर भी अपनी बैसाखियाँ बनायीं
पहुँच गया सफलता की मंजिल पे लगती हुई ठोकरों से।


8.
बिना लक्ष्य के जीने वाले इंसानों की जिंदगी कहाँ अमीर होती है,
जब मिल जाती है सफलता तो नाम ही सबसे बड़ी जागीर होती है।


9.
किसी की तमन्ना थी तो किसी की उम्मीदें जुड़ी थीं,
मेरी सफलता के लिए मेरी मेहनत बहुत कड़ी थी,
पहुँच कर मुकाम पर जो मुद कर देखा मैंने तो पाया कि
मुझसे आगे निकलने को दुनिया तमाम खड़ी थी।


10.
जो शतरंज की बिसात होती जिंदगी तो
मैं सिर्फ एक मोहरा ही बन कर रह जाता,
ये तो वो खाली किताब निकली जिसने
बादशाह बना दिया मुझको जो मैंने
खुद की किस्मत लिखनी शुरू की।


11.
बीत गया है रास्ता की आज मैं अपने मुकाम पर हूँ,
सारे सफ़र सताती रही जिंदगी
थक चुका हूँ थोडा आज आराम पर हूँ।


12.
मिल गयी है सफलता तो नजरिये बदले हैं
जो थे कल तक दुश्मन आज करीबी निकले हैं,
ना ही बदला हूँ मैं ना ही मेरे अंदाज बदले हैं,
ये तो बस शुरुआत थी अभी तो पड़ाव अगले हैं।


पढ़िए :- कामयाबी पर बेहतरीन शायरी


13.
ख्वाब पूरे हो गए हैं मेरे कि आज चैन की नींद सोना चाहता हूँ,
बहुत देर से दूर था जिस आँचल से आज उसी माँ की गोद में सोना चाहता हूँ।


14.
माना कि पहुँच गया हूँ सफलता की ऊँचाइयों पर आज मैं,
लेकिन लोगों के दिलों में उतरने का हुनर आज भी रखता हूँ।


15.
मुझे तो खबर भी न थी की कौन-कौन साथ दौड़ रहा है मेरे
पहुंचा मंजिल पर तो पता चला की एक लम्बा कारवां मेरे पीछे था।


16.
एक जमाना था जब मैं तलाशता था रास्ता आसमान तक जाने का
एक आज का दौर है की सारा आसमान मेरा है।


17.
खोटा सिक्का जो समझते थे मुझे
आज मैं उनका ध्यान तोड़ आया हूँ,
जिंदगी की राहों में सफ़र लम्बा था मेरा
इसलिए क़दमों के निशान छोड़ आया हूँ।


18.
उड़ान भरी तो इतनी दूर निकल आया मैं,
न जाने इस मुकाम का मंजर क्या होगा?


19.
घिर चुका था जब मुसीबतों के बीच
हौसला बढाया तो रुकावटों की ईमारत हिल ही गयी,
बहुत दूर नजर आ रही थी जो इक दिन
कदम बढाया तो आज मंजिल मिल ही गयी।


20.
जिस सफ़र से होकर तू आज मुकाम पर पहुंचा है,
उसी सफ़र में आज कई दीवाने चल निकले हैं,
जानते नहीं नादान इन्हें जरूरत है इक जिद की
नन्हें कदमो से नापने आसमान चल निकले हैं।


सोच बढ़ाएं, लक्ष्य बनाएं और सफलता पाए

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38 comments

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Manish raidas अप्रैल 28, 2021 - 1:41 अपराह्न

नमस्कार सर जी………
यह कविता युवा पीढ़ी को बहुत जरूरत है और वाकई यह कविता एक मरे हुए में जान डालती नजर आती है
अगर कोई अंदर से टूटा हो वह व्यक्ति इन कविताओं ले माध्यम से वापस अपने जीवन में उमंग बार सकता है

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Shivkumar मई 25, 2020 - 8:23 पूर्वाह्न

Nice all poems

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 27, 2020 - 2:13 अपराह्न

Thank You Shiv Kumar Ji…

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Robiul मई 20, 2020 - 9:11 पूर्वाह्न

Excellent sir ????

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 23, 2020 - 12:50 अपराह्न

Thank You Robiul…

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Dilkhush Kumar अगस्त 18, 2019 - 1:30 अपराह्न

Sir Mai dilkhush Kumar hamai aapsai bahut parerna milta or jab bhi himmat harta Hun to Aapka ek ek shayri motivate karta h aap isi Tarah sath banae rakhe dhanyabad

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Javed मई 26, 2018 - 8:59 अपराह्न

Thanku sir

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 27, 2018 - 8:46 पूर्वाह्न

Thanks Javed Bro..

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Pankaj meena मार्च 15, 2018 - 12:00 पूर्वाह्न

So sweet

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 16, 2018 - 10:39 पूर्वाह्न

Thanks Pankaj Meena ji…

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jitendra kumar फ़रवरी 27, 2018 - 6:50 पूर्वाह्न

Nice success shayari

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 27, 2018 - 9:11 अपराह्न

धन्यवाद जीतेन्द्र कुमार जी।

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rama ram जनवरी 23, 2018 - 10:40 अपराह्न

very nice shayri

manji teri kisti k tlabgar bhut h ,is paar kuch pr us paar bahut h.
jis shahar me tune kholi h shishe ki dukan , us shahar me patthar k kharidar bhut h..
thanks

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 24, 2018 - 3:05 अपराह्न

Bahut badhiya Rama Ram ji.

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Saurabh दिसम्बर 20, 2017 - 6:15 अपराह्न

Wow.. amazing poem. Brings me to tears..
Often people make mistake while reading poetry. You ready every stanza twice and then think about it to completely understand the meaning. Poems are shorter but have deeper meanings..you could spend an hour on such poetry imagining each and every situation carefully..

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 22, 2017 - 10:28 अपराह्न

Thanks Saurabh….

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AmitSharma दिसम्बर 7, 2017 - 4:40 अपराह्न

Bahut bahut badiya sir ji gajab line likhin apne sir

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 7, 2017 - 4:50 अपराह्न

धन्यवाद Amit Sharma जी।

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R.k.singh अक्टूबर 21, 2017 - 2:08 अपराह्न

Nice sir

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 21, 2017 - 3:17 अपराह्न

Thanks R.K.Singh ji….

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Priyesh Gamot अक्टूबर 15, 2017 - 3:47 अपराह्न

Behad atisundar evam utsahjanak pankitiya likhi hai aapne.. aapke in sabhi sher ne mera dil jeet liya hai.. me stage anchoring me aapke kuch shabdo ko logo tak pahuchaunga.. ummid karta hu ki aap bhavishya me bhi isse behtar likhate rahe.. Dhanywad

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 15, 2017 - 9:43 अपराह्न

मुझे खुशी है Priyesh Gamot की आपको मेरी कलम की रचना पसंद आयी। आप जैसे पाठक अगर उत्साह बढ़ाते रहे तो ये कलम इसी तरह मेरा साथ देती रहेगी। सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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उमाशंकर अगस्त 22, 2017 - 10:45 अपराह्न

नमस्कार सर
मुझे आपका ये सारी सफल शायरी बहूत अच्छे लगे
so thanks sir

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 23, 2017 - 1:09 अपराह्न

धन्यवाद उमाशंकर जी।

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sachin yadav अगस्त 12, 2017 - 4:02 अपराह्न

sir i am sachin yadav, maine jindgi mai dusro ke dwara bahut khai hai aur hum akele nahi hamare aise kai sathi hai leki bayan nahi karte aap hamara aur hamare jaise maaro ka junoon badate rahiye , please

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 14, 2017 - 6:28 पूर्वाह्न

सचिन यादव जी,,, धन्यवाद की आपको हमारी रचना अच्छी लगी। हमारा प्रयास यही रहता है कि पाठक को प्रेरित करने वाली रचना ही लिखें। हमें ये जानकर खुशी हुई कि हमारा प्रयास सफल हुआ। इसी तरह हमारे साथ बने रहें।
धन्यवाद।

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shantanu hazra जुलाई 23, 2017 - 9:24 अपराह्न

khub surat shyri…i loved…

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 30, 2017 - 2:40 अपराह्न

धन्यवाद shantanu hazra…..

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Vickey sharma जुलाई 2, 2017 - 12:44 पूर्वाह्न

Bahut badhiya sayeri

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 2, 2017 - 8:56 पूर्वाह्न

धन्यवाद Vickey Sharma जी….

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विरम सिंह अप्रैल 9, 2017 - 9:23 पूर्वाह्न

बहुत अच्छे कथन और शायरी

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 9, 2017 - 10:48 पूर्वाह्न

धन्यवाद वीरम सिंह जी…….

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Akash singh मार्च 25, 2017 - 4:59 अपराह्न

sir, aapne jindgi bdlne vali sayariya likhi h eske liye aapko very very thanks.

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 26, 2017 - 8:23 पूर्वाह्न

Akash Singh Ji….aapka bhi bahut dhanywad bas isi tarah humare sath bane rahiye…

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Gaurav Dhoke फ़रवरी 13, 2017 - 8:16 अपराह्न

thanks sir ji aap ki sayari ke lekh bhahut hi badiya hai.
"dhanyawaad"

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 13, 2017 - 8:37 अपराह्न

धन्यवाद Gaurav Dhoke बस इसी तरह हमारे साथ बने रहे हम आगे और भी बेहतरीन लेख व शायरी संग्रह लाते रहेंगे। एक बार फिर आपका बहुत-बहुत आभार…….

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HindIndia जनवरी 26, 2017 - 10:07 अपराह्न

बहुत ही बढ़िया article लिखा है आपने। ……..Share करने के लिए धन्यवाद। :) :)

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 26, 2017 - 10:16 अपराह्न

धन्यवाद HindIndia जी…..बस इसी तरह हौसला अफजाई करते रहें….और हम इसी तरह लिखते रहें….आपका बहुत-बहुत आभार…..

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