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राम नाम की महिमा – राम सेतु निर्माण की रामायण की कहानी

by Sandeep Kumar Singh
4 minutes read

श्री राम नाम की महिमा

"कलयुग केवल नाम अधारा,
 सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।"

तुसलीदास रचित इस दोहे के अर्थ बहुत ही गूढ़ हैं। सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग में प्रभु की प्राप्ति और मोक्ष के लिए जहाँ सघन आधार था। वहीं कलयुग में मात्र राम नाम की महिमा  जपने से ही अपने जीवन के उद्देश्य को साकार किया जा सकता है।

जो सच्चे मन से प्रभु का नाम जप लेता है उसके जीवन की नैया हर मझदार से निकल शांतिपूर्वक आगे बढ़ने लगती है। नाम की महिमा हर युग में महान रही है। चाहे नाम प्रह्लाद ने लिया हो, चाहे शबरी ने, द्रौपदी, सुदामा और तुलसीदास जैसे कितने ही भक्तों ने नाम का सहारा लेकर अपना जीवन सफल कर लिया।

रामचरिमानस में तुलसीदास जी ने राम नाम की बहुत महिमा गाई है। राम नाम से हर प्रकार के दुखों का अंत हो अत है। मन को परम शांति प्राप्त होती है। राम नाम के जप की महिमा कुछ इन शब्दों में भी की गयी है :-

“रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।”

अर्थात राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के सामान है जिसे अगर सच्चे मन से खाया जाय भाव नाम जपा जाए तो सभी दुःख दर्द मिट जाते हैं और कोई चिंता नहीं रहती। राम नाम की महिमा सिद्ध करता ऐसा ही एक प्रसंग भी है। आइये जानते हैं राम नाम की महिमा :-

राम नाम की महिमा - राम सेतु निर्माण की रामायण की कहानी

राम सेतु के निर्माण का कार्य चल चल रहा था। सारी वानर सेना अपने-अपने काम में लगी हुयी थी। श्री राम जी सब कुछ देखते हुए मन में विचार करने लगे कि अगर मेरे नाम से ही फेंके गए पत्थर तैर रहे हैं तो मेरे फेंकने पर भी पत्थर तैरने चाहिए।

यही विचार करते हुए श्री राम जी ने जैसे ही एक पत्थर उठाया और समुद्र में फेंका वैसे ही वो पत्थर डूब गया। श्री राम जी सोच में पड़ गए कि ऐसा क्यों हुआ?

हनुमान जी दूर खड़े ये सब देखा रहे थे। उन्होंने श्री राम जी के मन की बात जान ली। हनुमान जी श्री राम जी के पास गए और बोले
‘क्या हुआ प्रभु? आप किस दुविधा में खोये हुए हैं?”

“हनुमान मेरे नाम से पत्थर तैर रहे हैं।”
“हां प्रभु”
“परन्तु जब मैंने अपने हाथ से पत्थर फेंका तो वो डूब गया।”
“प्रभु आप के नाम को धारण कर तो सभी अपने जीवन को पार लगा सकते हैं। लेकिन जिसे आप स्वयं त्याग रहे हैं उसे कोई डूबने से कोई कैसे बचा सकता है।”

ये उत्तर सुन कर श्री राम जी के मन को शांति प्राप्त हुयी।
ये सिर्फ कहने की ही बात नहीं है। राम नाम कलयुग में जीवन का आधार है। इसके स्मरण करने से सारे दुःख-दर्द मिट जाते हैं। मन को शांति प्राप्त होती है। आप सब भी राम नाम के बारे मे अपने विचार जरुर साझा । हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

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धन्यवाद

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