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पिता पर कविता :- पिता क्या है | पिता के महत्व पर एक सुंदर कविता

by Sandeep Kumar Singh
4 minutes read

हमारे जीवन में हम हर चीज की एक परिभाषा पढ़ते हैं।  ये परिभाषाएं तथ्य पर आधारित होती हैं। लेकिन भारत ऐसा देश है जहाँ कुछ परिभाषाएं भावनाओं से बन जाती हैं। जैसे प्यार की परिभाषा, भावनाओं की परिभाषा आदि। ऐसी ही एक परिभाषा मैंने भी “ पिता क्या है ?” के रूप में पिता पर कविता लिखने की कोशिश की है। पिता जो हमारी जिंदगी में वो महान शख्स है जो हमारे सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सपनो की धरती बंजर ही छोड़ देता है। आइये पढ़ते हैं उसी पिता के बारे में :-

पिता पर कविता – पिता क्या है?

पिता पर कविता :- पिता क्या है

पिता एक उम्मीद है, एक आस है
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त अंदर से नर्म है
उसके दिल में दफन कई मर्म हैं।

पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।

पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है
सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है
इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।

पिता ज़मीर है पिता जागीर है
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को सब ऊपर वाला देता है ए संदीप
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।


पिता पर कविता का विडियो देखें :-

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84 comments

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kavita rawat जून 19, 2022 - 11:00 पूर्वाह्न

एक बेटा जब बाप बनता है तब उसे पिता क्या होता है इसका अच्छे से पता लगता है
बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तति

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Sangeeta Swarup जून 19, 2022 - 10:51 पूर्वाह्न

बहुत सुंदर परिभाषा ।

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नीलम वन्दना जून 18, 2022 - 10:00 अपराह्न

वाह 👌 बहुत सुंदर कविता,

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यशोदा अग्रवाल जून 18, 2022 - 4:55 अपराह्न

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग पांच लिंकों का आनन्द रविवार 19 जून 2022 को साझा की गयी है….<a href=पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा….धन्यवाद!

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विनोद भारद्वाज जून 15, 2019 - 4:54 अपराह्न

पिता ही प्रेम का एक सटीक उद्धरण है

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 16, 2019 - 2:51 अपराह्न

धन्यवाद विनोद भरद्वाज जी…

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Ashok kumar मई 9, 2022 - 11:46 पूर्वाह्न

बहुत ही सुंदर 👌 🙏🙏

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S Sharma जून 14, 2019 - 3:42 पूर्वाह्न

You have shared beautiful poetry love it, love your ideas, keep it up you have done well, thanks.

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राहुल रावत मार्च 31, 2019 - 1:37 अपराह्न

बहुत ही अच्छा और मर्म स्पर्शीय था, जो जीवन के संघर्षों के बारे में बहुत कुछ बताता है…

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 2, 2019 - 1:20 पूर्वाह्न

धन्यवाद राहुल जी।

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Vivek pathak मार्च 18, 2019 - 1:38 अपराह्न

संदीप जी ! आपने पिता के सन्दर्भ एक अच्छी रचना को जन्म दिया हैं ……आप हमारी बेवसाइट पर आकर एक बार नई रचना पिता के ऊपर पढ़कर अपने विचार हम तक पँहुचायें ।
हमारी बेवसाइट हैं Merajazbaa.com हमें उम्मीद हैं आपका सानिध्य हमेशा मिलता रहेंगा ।

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Jeetendra Verma मई 20, 2018 - 11:05 अपराह्न

बहुत बढ़ियाा संदीप जी

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 21, 2018 - 8:37 अपराह्न

धन्यवाद जीतेंद्र वर्मा जी।

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Sandeep bhargava फ़रवरी 4, 2018 - 12:32 पूर्वाह्न

Sir mere pita ji nhi he mene ye kbita jb padi jb mujhe unki bhut yaad aarhi thi atynt sundr or bhabuk he

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 9, 2018 - 9:06 अपराह्न

Sandeep bhargava जी ये बात बिलकुल सही है कि जब बात पिता की आती है तो दिल खुद-ब-खुद भावुक हो जाता है।

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sandeep kumar फ़रवरी 3, 2018 - 9:14 अपराह्न

nice Fathers lines I love you papa

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Satish नवम्बर 22, 2017 - 2:11 पूर्वाह्न

DiL sE ? true line's

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh नवम्बर 22, 2017 - 8:39 अपराह्न

धन्यवाद सतीश जी।

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uttam Thakur अक्टूबर 25, 2017 - 7:00 पूर्वाह्न

आज जब सर से पिता का साया उठा तब इस कविता का महत्त्व समझ में आया !

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 26, 2017 - 3:46 अपराह्न

Uttam ji अक्सर लोगों की अहमियत का उनके न होने पर ही पता चलता है। हमारी सहानुभूति आपके साथ है।

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Jitendra kumar सितम्बर 20, 2017 - 1:52 अपराह्न

Bhut khub
Nice line yr
Dil khush ho gya

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 20, 2017 - 4:53 अपराह्न

धन्यवाद जितेन्द्र कुमार भाई।

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अरविन्द कुमार आर्य सितम्बर 10, 2017 - 12:28 पूर्वाह्न

समाज में परिवर्तन में आप जैसे कवियों की महत्वपूर्ण भूमिका सदियों से रही है ।
आज हमारा पुरुष समाज एकतरफा महिला कानून के बोझ से दबा महसूस कर रहा है ।
इस नारी शशक्तिकरण की होड़ में बुजुर्गो के खिलाफ अत्याचार बढ़ता जा रहा है । उनके सम्मान में कमी आई है । पुरुष हर तरफ कानून के मार से दंश झेल रहा है।
चाहे झूठे दहेज़ के मुक़दमे हो, घरेलु हिंसा,बलात्कार या छेड़छाड़ का मुकदमा, इसमें झूठे शिकायतों की तादात ज्यादा है ।
हमारा न्यायालय भी पंगु हो गया है। न्याय मिलने में सालो साल लग जाते हैं ।
कृपया कर इस विषय पर भी कविता लिखे।
बेटी और बहु की रट लगाते कही हम पुत्र और बेटे को दरकिनार न करदे उनके अधिकारो से वंचित न करें ।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 11, 2017 - 11:26 पूर्वाह्न

जी अरविंद जी हम प्रयास करेंगे कि पुरुष वर्ग को समर्पित कोई कविता लिखें। इसी तरह हमारे साथ बने रहें। धन्यवाद।

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अरविन्द कुमार आर्य सितम्बर 10, 2017 - 12:21 पूर्वाह्न

संदीप जी आपकी कविता ने खासकर पिता पर लिखी गयी कविता । समाज में महिला उत्थान के जमाने में एक पिता की भूमिका को पुनः जागृत करने का काम किया है ।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 11, 2017 - 11:25 पूर्वाह्न

सराहना के लिए धन्यवाद अरविंद कुमार आर्य जी।

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Shankar tailor सितम्बर 9, 2017 - 9:14 पूर्वाह्न

पिता रोटी कपडा और मकान है
पिता नन्हें से परिंदे का बड़ा सा आसमान है
पिता है तो माँ की बिंदी और सुहाग है
पिता है तो सारे सपने अपने है
पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने है………..

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 9, 2017 - 9:52 अपराह्न

बहुत खूब Shankar tailor जी।

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kundan kumar singh अगस्त 21, 2017 - 11:40 पूर्वाह्न

Bahut achha laga

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 21, 2017 - 5:43 अपराह्न

धन्यवाद kundan kumar singh जी।

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श्याम जून 22, 2017 - 12:58 अपराह्न

मैं आपसे वादा करता हु इस कविता का पाठ मेरे भजन संध्या के कार्यक्रम में जरूर करूँगा संदीप जी

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 23, 2017 - 6:52 अपराह्न

श्याम जी ये तो आपने बहुत बड़ी बात कह दी। मैं इतना काबिल कहाँ की मेरी रचना किसी संध्या भजन का हिस्सा बने। आपको यह रचना अच्छी लगी वही मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। आपका अति धन्यवाद।
इसी तरह हमारे साथ बने रहें।

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shivam Mishra जून 18, 2017 - 2:02 अपराह्न

Pita Parmeshwar hai

पितृ देवो भव

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 18, 2017 - 2:06 अपराह्न

Right Mr. Shivam Mishra ji…..

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Rajeeva Mohan Sharma जून 18, 2017 - 6:29 पूर्वाह्न

Sandeepji aapki kavita aapka maa baap ke prati kitna prem hai batati hai, aisi kavita tabhi banti hai.

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 18, 2017 - 11:13 पूर्वाह्न

धन्यवाद Rajeeva Mohan Sharma जी। ये माँ-बाप का प्यार ही है जो इस काबिल हुआ हूँ। एक बार फिर धन्यवाद।

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Rajeeva Mohan Sharma जून 18, 2017 - 6:26 पूर्वाह्न

Papa ji aap ko father's day par mery subhkamnayen. Varenya Bhatt, (Fareedabad)

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Rajeeva Mohan Sharma जून 18, 2017 - 6:22 पूर्वाह्न

Pita hai to bhagwan hai, pita nahi to bekar saara jahan hai, pita hamari aas hai, pita hai to humari San jarroraten khaas hai, Pita humare liye chnah hai,pita hai to aasan humari raah hai. mere pita aap jaha bhi ho sada swasth aur khush rahna, Him baccho par aasheervaad banaye rakhna. Galtiya Jo hui hohumsabko chama karna.Charno me pranam.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 18, 2017 - 11:12 पूर्वाह्न

Bahut achha likha hai aapne Rajeeva Mohan Sharma ji….

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दिनेश सिदार जून 6, 2017 - 1:05 पूर्वाह्न

माॅ एवम बाबूजी को सादर चरण वंदन

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दिनेश सिदार जून 6, 2017 - 1:03 पूर्वाह्न

पिता जी पर समर्पित बहुत ही सुन्दर पंक्तियां संजोए सर आपने
सर्वप्रथम आपको बहुत बहुत धन्यवाद
एवम काश कि ऐसा होता कि हर इंसान के मन मे पिता एवं माता के प्रति अपना फर्ज समझते हुए उनके प्रति इतनी आदर होती कि वृद्धा आश्रम की आवश्यकता ना होती

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 6, 2017 - 6:05 पूर्वाह्न

धन्यवाद दिनेश सिदार जी….. बिल्कुल सही बात कही आपने। लेकिन आज कल दोष माँ बाप का भी है जो अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं देते और उनके बीच दूरियां बढ़ जाती हैं।

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surendra singh मई 30, 2017 - 3:55 अपराह्न

grate

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 30, 2017 - 4:16 अपराह्न

Thanks Surendra Singh ji….

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सुप्रिया मई 27, 2017 - 3:09 अपराह्न

I love my Father

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सुप्रिया मई 27, 2017 - 3:06 अपराह्न

पिता है तो हम है nice thought bhai

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 27, 2017 - 4:35 अपराह्न

Thanks Sis…

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sonika jain मई 24, 2017 - 4:47 अपराह्न

a very heart touching and commendable poem

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 24, 2017 - 4:49 अपराह्न

Thanks Sonika jain…..

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Shubham मई 23, 2017 - 5:59 अपराह्न

This poem is best.
I love u papa

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 24, 2017 - 8:51 अपराह्न

Thanks Shubham bro….

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Laxman chouhan मई 14, 2017 - 7:41 अपराह्न

लाजवाब

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 16, 2017 - 8:24 अपराह्न

धन्यवाद Laxman chouhan जी…

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ashish मई 10, 2017 - 11:53 अपराह्न

Very nice keep it up

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 11, 2017 - 7:10 अपराह्न

Thanks Ashish…

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Raja patel मई 10, 2017 - 11:29 अपराह्न

Hum bahut khus nasibe hai ki humara pass papa ji hai

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 11, 2017 - 7:10 अपराह्न

Raja जी जिसके सिर पर पिता का साया है, वो हर शख्स खुशनसीब है…

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puneetchaubey मई 3, 2017 - 7:56 पूर्वाह्न

aap ko thanks kehna chahta hu aapne muje mere papa ki yaad dila di….

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लखन साहू अप्रैल 8, 2017 - 7:51 अपराह्न

बहुत सुन्दर !

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 8, 2017 - 7:56 अपराह्न

धन्यवाद लखन साहू जी……

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Sameer अप्रैल 16, 2017 - 2:18 पूर्वाह्न

Sir main apne dady s bhut pyar karta hu i love my dady

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 16, 2017 - 2:05 अपराह्न

Everyone does the same Sameer Bro…..Thanks to share your thought…..

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Shista मार्च 24, 2017 - 3:16 अपराह्न

Not so good you can write better

Reply
Chandan Bais
Chandan Bais मार्च 24, 2017 - 9:02 अपराह्न

Thank you Shista, Please send us your suggestions. We will definitely do better

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ikbal मार्च 23, 2017 - 12:25 पूर्वाह्न

Very nice brother kya kavita likhi hain

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 23, 2017 - 6:27 पूर्वाह्न

Thanks ikbal bhai…..

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drverma मार्च 18, 2017 - 4:23 अपराह्न

पिता का महत्व बहुत ही अच्छा है मुझे भी इसका एहसास
16 साल बाद हुआ जब मुझे दो जुड़वां लडकियां हुई आज मेरे एक संतुष्ट और खुश पिता हुं

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 19, 2017 - 8:18 पूर्वाह्न

सबसे पहले आपको बहुत-बहुत बधाई हो। पिता तो भगवान की एक ऐसी देन है जो हमारे जीवन में साथ रहकर हमे सद्मार्ग पर चलने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आशा है आपको भी अपने पिता की महानता की अनुभूति हो गयी होगी। एक बार फिर से आपको बधाई व ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद।

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Udham Singh Choudhary मार्च 15, 2017 - 9:49 अपराह्न

लाजबाव

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 15, 2017 - 10:24 अपराह्न

धन्यवाद Udham Singh Choudhary जी…..

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bittu kumar फ़रवरी 24, 2017 - 2:12 अपराह्न

i like it bro

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 24, 2017 - 2:17 अपराह्न

Thank you very much bittu kumar bro…..

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Jayanti Dewangan फ़रवरी 13, 2017 - 7:58 अपराह्न

Thanks for these Dedicating song

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 13, 2017 - 8:06 अपराह्न

Thank you very much jayanti Dewangan ji……..

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Anand Pal singh फ़रवरी 4, 2017 - 2:21 अपराह्न

Very nice line for all children

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 4, 2017 - 4:57 अपराह्न

Thanks for complement Anand Pal Singh ji…….

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जमशेद आज़मी दिसम्बर 18, 2016 - 11:28 अपराह्न

पिता को समर्पित बहुत ही सुंदर और संजीदा किस्‍म की रचना प्रस्‍तुत की है आपने। इसके लिए आपका धन्‍यवाद।

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Mr. Genius
Mr. Genius दिसम्बर 18, 2016 - 11:51 अपराह्न

प्रशंसा के लिए आपका बहुत आभार जमशेद आज़मी जी। इसी तरह हमारे साथ बने रहिये। धन्यवाद।

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Kuldeep नवम्बर 30, 2016 - 8:40 पूर्वाह्न

My father is great????????

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Mr. Genius
Mr. Genius नवम्बर 30, 2016 - 3:35 अपराह्न

Every Father is Great Bro…..
Thanks to visit here…..

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RAM NARAYAN KASHYAP HARDOI UP नवम्बर 8, 2016 - 4:27 अपराह्न

I Love My Father

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Mr. Genius
Mr. Genius नवम्बर 8, 2016 - 5:18 अपराह्न

Same here Ram Narayan Kashyap Ji…thanks for comment …

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रूद्र अक्टूबर 25, 2016 - 6:46 अपराह्न

अतिसुन्दर

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Mr. Genius
Mr. Genius अक्टूबर 25, 2016 - 7:07 अपराह्न

धन्यवाद रूद्र जी……

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