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नया साल नए संकल्प लेना कितना सही और कितन गलत

by Sandeep Kumar Singh
6 minutes read

जीवन कठिनाइयों और समस्याओं से भरा पड़ा है। ऐसे में कोई भी मंजिल हासिल करना आसान नहीं होता। अपने लक्ष्य पर पहुँचने से पहले कई विचार और परिस्थितियां हमें लक्ष्य से भटका देती हैं या फिर बहुत सारा समय नष्ट कर देती हैं। इसका नतीजा ये होता है की हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। ऐसा क्या किया जाए कि हम अपने लक्ष्य की तरफ हमेशा बढ़ते रहें चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। हमारे जीवन हमें आसान लगने लगे और हर समस्या मात्र एक खिलवाड़ लगने लगे। हाँ तो उसके लिए पढ़िए न ” नया साल नए संकल्प ” :-

नया साल नए संकल्प

नया साल नए संकल्प

जो तरीका मैं यहाँ आपके सामने बताने जा रहा हूँ उसका प्रयोग लोग अक्सर नये साल पर ही करते हैं। जी हाँ वो है संकल्प। अक्सर लोग नए साल पर ही संकल्प लेते हैं जिसे अंग्रेजी में New Year Resolution कहा जाता है। और लेते भी ऐसे हैं जैसे कोई नया इतिहास रचा देंगे। लेकिन क्या सिर्फ नए साल से ही इसको जोड़े रखना सही है? इस बारे में बात करने से पहले आइये पहले जानते हैं संकल्प के बारे में।

संकल्प अर्थ

संकल्प एक ऐसी दृढ इच्छा है जिसके आगे दुनिया कि सारी शक्तियां बेकार पड़ जाती हैं। बुद्धि, बल, धन और भाग्य जब आपका साथ छोड़ सकते हैं। जिसके बाद आपका अपना कोई वजूद नहीं रह जाता और आप किसी भी परिस्थिति का सामना करने योग्य नहीं रह जाते। ऐसे समय में यदि आप अपनी जिंदगी में कुछ कर लेने की ठान लेते हैं और उस पर डटे रहते हैं तो वो संकल्प कहलाता है।

संकल्प की शक्ति

संकल्प ही वो शक्ति है जिससे आप संसार में कुछ भी हासिल कर सकते हैं। ये एक इन्सान की जिंदगी से लेकर पूरी दुनिया का वजूद बदल सकती है। ये सिर्फ कहने की बात नहीं है। इतिहास में ऐसी कई उदाहरण हैं जिससे यह बात सिद्ध होती है कि संकल्प की शक्ति ने बड़े-बड़े बदलाव किये हैं।

सबसे पहले बाद करते हैं चाणक्य की। चंकी ने अपने जीवन में संकल्प लिए था की वो धना नन्द का वंश ख़त्म कर देंगे। इतिहास में अपना महत्वपूर्ण स्थान छोड़ा और धना नन्द का वंश समाप्त कर चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को मगध का राजा बनाया।

बात करें कबीरदास, गुरु नानक देव जी, तुलसीदास आदि महान पुरुषों की तो इन्होने भी भगवान् के बने रहने का संकल्प लिए और अपना जीवन लोगों में भगवान् की महिमा का वर्णन करते हुए बिता दिया। आज इनके अनुयायी पूरे विश्व में मिल जायेंगे।

वैज्ञानिकों में बात करें थॉमस अल्वा एडिसन की तो वो तो आप सबको पता ही होगा। संकल्प के कारण ही वो बल्ब बनाने के लिए प्रयास क्रेट रहे और अंत में बल्ब बना कर ही उन्होंने ने दम लिया।

ऐसी ही और बहुत सी उदहारण आप लोगों को मिल जायेंगी। जिस से ये साबित होता है की संकल्प की शक्ति से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

नया साल नए संकल्प ?

क्या आप में से कोई बता सकता है कि इन सब महान लोगों में से किसने नये साल पर संकल्प लिया था? अगर ऐसा होता तो क्या गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत आते? वो भी नए साल का इन्तजार करते कि कब नया साल आये और मैं ये संकल्प लूं कि भारत को आजाद करवाना है। क्या भगत सिंह ने अपनी जान देश के लिए लिखने से पहले नये साल का इन्तजार किया था?

बाकी बातों को छोड़िये। आप में से क्या कोई ऐसे इन्सान के बारे में बता सकता है जिसने नए साल पर संकल्प लेकर कोई महान कार्य किया हो? अगर ऐसा कोई है तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।



तो फिर ये रीत क्यों?

जितना मैं अंदाजा लगा सकता हूँ इसके बारे में सबका यही कहना होगा कि नए साल पर नयी शुरुआत हो और हम अपनी जिंदगी सुधार सकें। इसलिए नए साल पर संकल्प लेने का रिवाज है। तो इसका मतलब तो ये हुआ कि अगर किसी नशेखोर को नवम्बर के महीने में डॉक्टर बोलता है कि तुम नशा करना छोड़ दो नहीं तो तुम्हारी जान को खतरा होगा। तो क्या उस नशेखोर को नए साल का इन्तजार करना चाहिए?

बिलकुल नहीं। संकल्प लेने का कोई समय नहीं होना चाहिए न ही होता है। कई लोग तो अपने संकल्प से चिपके रहने का उपाय भी बताते हैं कि आपका ध्यान उस से भटके नहीं। लेकिन वो उपाय कोई अपनाएगा या नहीं इस बारे में पुष्टि कैसे हो? फिर तो उन्हें इस बात का भी संकल्प लेना चाहिए कि अगर वो अपने संकल्प से भटके तो उसे दुबारा बनाये रखने का उपाय भी करेंगे।

बहुत गड़बड़ घोटाला है और ये सब अंग्रेजों का डाला है। अपने नव वर्ष तो शायद हम भूल ही चुके हैं। बस एक बाद याद रहती है कि 1 जनवरी को ही नया साल होता है और इसी दिन ही संकल्प लिया जाता है। जबकि भारतियों का नव वर्ष तो चैत्र में, बैसाखी पर, गुड़ी पर्व और दीपावली पर होता है। भारत के अलग अलग राज्यों और धर्मों में अलग-अलग दिनों पर नया साल आरंभ होता है।

तो क्या उन सबको भी उनके नए साल पर ही संकल्प लेना चाहिए?

संकल्प आज ही लें

शायद अब तक आपको बात समझ आ गयी होगी। जी हाँ, कबीरदास जी ने भी अपने दोहे में कहा है,

“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।”

तो दोस्तों आपको जो भी संकल्प लेना है आप आज ही लें। पहला संकल्प ये लें कि हम संकल्प लेने के लिए किसी अवसर की प्रतीक्षा नहीं करेंगे। जो हमारे जीवन के लिए उचित है उसे पूरा करने का संकल्प हम तत्काल लेंगे। तो अपने जीवन को बदलने के लिए कुछ समय लें और सोचें कि आपको अपने जीवन में क्या हासिल करना है। सोच लेने पर भी अगर आपको समझ न आये तो सहायता के लिए आप हमारा ये लेख पढ़ें :- जीवन में लक्ष्य कैसे प्राप्त करे।

तो प्रिय पाठकों इस लेख ‘ नया साल नए संकल्प ‘ के बारे में अपने विचार निःसंकोच लिखें। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

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