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न जाने कहाँ तू चली गयी माँ :- माँ की याद में मार्मिक कविता

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

न जाने कहाँ तू चली गयी माँ :- इंसान को जीवन देने वाली माँ ही होती है। उसके जीवन को आधार  देने वाली भी माँ ही होती है। एक माँ का दर्जा किसी इन्सान के जीवन में भगवान् से कम नहीं होता। वही इन्सान की जननी और पहली गुरु होती है। वही एक बालक को जो संस्कार देती है इसके द्वारा वह एक सफल इन्सान बनता है।

माँ का जीवन में वो स्थान होता है जो खाली होने पर कोई भी नहीं भर सकता। माँ के जाने के बाद ये जीवन बेकार सा लगने लगता है। माँ की याद में अक्सर आँख अपने आप भर जाती है और मन में उसकी छवि अपने आप उभर जाती है। ऐसी ही भावना को मैंने इस कविता में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। आशा करता हूँ आप सबको यह कविता ‘ न जाने कहाँ तू चली गयी माँ ‘ अवश्य पसंद आएगी।

न जाने कहाँ तू चली गयी माँ

न जाने कहाँ तू चली गयी माँ

तुझसे मिली साँसे, तुझसे मिला जीवन,
तुझसे ही सब रिश्ते, तुझसे जुड़ा ये मन,
दुनिया तो देती है ठोकर हर दम,
इक तेरी ही गोदी में झूले थे हम,
वो लोरी तेरी सुनके सोते थे हम
तेरे होने से न होता था हमको कोई गम

न जाने कहाँ तू चली गई माँ
वापस आजा ओ माँ
तेरी याद बहुत आती है
बीतें पलों की
यादें रुला जाती हैं।

 

आपस में लड़ते थे जो हम भाई बहन
तू समझाती थी रहो सब मिल जुल कर,
दुःख अपने न हमको बताती थी तू,
देखकर हमको मुस्कुराती थी तू,
भूखे हमको कभी भी न सोने दिया
खाली पेट तो खुद सो जाती थी तू,

न जाने कहाँ तू चली गई माँ,
आज इतना बुलाने पे
क्यों नहीं आती है?
बीतें पलों की
यादें रुला जाती हैं।

जिंदगी में जो खुशियों की है ये बहार
आशीर्वाद है तेरा ये तेरा है प्यार
तेरी बातों को अब तक न भूलें हैं हम
जिंदगी में बहुत दुःख झेले हैं हम
तू दिखती नहीं हैं कहीं भी
तेरा अहसास तो फिर भी साथ ही रहता है

न जाने कहाँ तू चली गई माँ,
अब खुशियाँ भी
पास न आती हैं,
बीतें पलों की
यादें रुला जाती हैं।

पढ़िए :- माँ की याद में कविता – तू लौट आ माँ

मित्रों अगर आपको यह कविता अछि लगी तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें।

पढ़िए माँ पर कुछ और मार्मिक कविताएँ :-

धन्यवाद।

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29 comments

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Rajendrakothari मई 11, 2019 - 10:24 अपराह्न

बहुत मार्मिक कविता है

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prity अप्रैल 21, 2019 - 2:25 अपराह्न

bahut khubsurat

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 3, 2019 - 10:21 पूर्वाह्न

धन्यवाद प्रीती जी।

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Shravan kr singh दिसम्बर 3, 2018 - 9:25 अपराह्न

Sandip ji ham aapke sundar vichar aur bhavnao ke kayal ho gaye he..
Aapki sudar vichar aur bhavana ki ham kadra karte he..

Mera naam shravan kr singh he..
823****216 my official no..
Aasha aur ummid he aap mujhse sampark karenge..

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 5, 2018 - 8:06 अपराह्न

धन्यवाद श्रवण कुमार सिंह जी।

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Puneet Dubey मई 13, 2018 - 8:49 पूर्वाह्न

Nice poem those who are wrote

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 13, 2018 - 1:37 अपराह्न

Thanks Puneet Dubey Ji…

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vijay kr rajbhar अप्रैल 21, 2018 - 9:12 पूर्वाह्न

Wonderful and heart touching ……..beyond the description……….

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 21, 2018 - 6:07 अपराह्न

Thanks Vijay Kr Rajbhar….

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Suhel Akhtar मार्च 1, 2018 - 1:12 अपराह्न

Nice
Bahut sundar
Is kavita se bahut kuch yaad aata hai.

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aryan yadav जनवरी 31, 2018 - 9:39 पूर्वाह्न

Aapki Kavita me bhut dard chhipa hai.apki Kavita ko pd kr mere aanshu aa gaye

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 31, 2018 - 9:24 अपराह्न

आर्यन यादव जी ये तो बस भावनाओं का कमल है जो शब्दों में अपना रंग दिखाती हैं।

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Kishan sahu दिसम्बर 7, 2017 - 8:10 पूर्वाह्न

Nice Kavita bhaiyya ji

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 7, 2017 - 1:49 अपराह्न

धन्यवाद किशन साहू जी।

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arun dev patel दिसम्बर 2, 2017 - 10:22 अपराह्न

nice kavta

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 3, 2017 - 2:31 अपराह्न

Thanks Arun Dev patel ji…

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Hema gupta अक्टूबर 14, 2017 - 7:37 अपराह्न

Nice poem

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 14, 2017 - 10:13 अपराह्न

Thanks Hema Gupta ji….

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देवेंद्र अगस्त 20, 2017 - 4:21 अपराह्न

Sandeep ji क्या मैं फेसबुक पर आपकी उक्त कविता की चंद पंक्तियां शेयर कर सकता हूँ।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 20, 2017 - 6:08 अपराह्न

जी जरूर देवेंद्र जी। लेकिन पंक्तियों के अंत में इस कविता का लिंक जरूर शेयर करके हमारा सहयोग जरुर करे।
धन्यवाद।

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देवेंद्र अगस्त 20, 2017 - 4:19 अपराह्न

मार्मिक कविता

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salim जून 7, 2017 - 8:48 अपराह्न

Nice

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 7, 2017 - 8:49 अपराह्न

Thanks salim bhai……

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MAHENDRA SHARMA मई 23, 2017 - 5:21 अपराह्न

NICE KAVITA

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 23, 2017 - 6:24 अपराह्न

Thanks Mahendra Sharma ji….

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Sunny मई 22, 2017 - 9:11 अपराह्न

ye kavita Sach me Kafi sunder h, aur maa bete ke beach apprication ko Kafi acha dikya h thank you sir

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 22, 2017 - 9:14 अपराह्न

धन्यवाद Sunny जी…..हम तो बस लिखने का प्रयास करते हैं आप जैसे पाठकों के पढ़ने से कविता पाने आप सुंदर हो जाती है। एक बार फिर आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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Banshi मई 14, 2017 - 1:43 अपराह्न

Good one…Hppy mother's day

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 21, 2017 - 5:12 अपराह्न

Thanks Bro……

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