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हनुमान चालीसा की रचना और इतिहास | हनुमान चालीसा की कहानी

by Sandeep Kumar Singh
5 minutes read

ऐसा माना जाता है कि कलयुग में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले भगवान हैं। उन्होंने हनुमान जी की स्तुति में कई रचनाएँ रची जिनमें हनुमान बाहुक, हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा प्रमुख हैं। क्हया आप जानते हैं हनुमान चालीसा के रचयिता कौन है ? हनुमान चालीसा की रचना के पीछे एक बहुत जी रोचक कहानी है जिसकी जानकारी शायद ही किसी को हो। आइये जानते हैं हनुमान चालीसा की रचना की कहानी :-

हनुमान चालीसा पाठ और डाउनलोड यहाँ प्राप्त करें।

हनुमान चालीसा की रचना

Tulsi Das: हनुमान चालीसा की रचना

भगवान को अगर किसी युग में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है तो वह युग है :- कलियुग। इस कथन को सत्य करता एक दोहा रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है :-

कलियुग केवल नाम अधारा ,
सुमिर सुमिर  नर उतरहि  पारा।

जिसका अर्थ है की कलयुग में मोक्ष प्राप्त करने का एक ही लक्ष्य है वो है भगवान का नाम लेना। तुलसीदास ने अपने पूरे जीवन में कोई भी ऐसी बात नहीं लिखी जो गलत हो। उन्होंने अध्यात्म जगत को बहुत सुन्दर रचनाएँ दी हैं।

गोश्वामी तुलसीदास और अकबर

ये बात उस समय की है जब भारत पर मुग़ल सम्राट अकबर का राज्य था। सुबह का समय था एक महिला ने पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के पैर छुए। तुलसीदास जी ने  नियमानुसार उसे सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया। आशीर्वाद मिलते ही वो महिला फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए उसने बताया कि अभी-अभी उसके पति की मृत्यु हो गई है।

इस बात का पता चलने पर भी तुलसीदास जी जरा भी विचलित न हुए और वे अपने आशीर्वाद को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे। क्योंकि उन्हें इस बात का ज्ञान भली भाँति था कि भगवान राम बिगड़ी बात संभाल लेंगे और उनका आशीर्वाद खाली नहीं जाएगा। उन्होंने उस औरत सहित सभी को राम नाम का जाप करने को कहा। वहां उपस्थित सभी लोगों ने ऐसा ही किया और वह मरा हुआ व्यक्ति राम नाम के जाप आरंभ होते ही जीवित हो उठा।

यह बात पूरे राज्य में जंगल की आग की तरह फैल गयी। जब यह बात बादशाह अकबर के कानों तक पहुंची तो उसने अपने महल में तुलसीदास को बुलाया और भरी सभा में उनकी परीक्षा लेने के लिए कहा कि कोई चमत्कार दिखाएँ। ये सब सुन कर तुलसीदास जी ने अकबर से बिना डरे उसे बताया की वो कोई चमत्कारी बाबा नहीं हैं, सिर्फ श्री राम जी के भक्त हैं।

गोश्वामी तुलसीदास हनुमान चालीसा के रचयिता

अकबर इतना सुनते ही क्रोध में आ गया और उसने उसी समय सिपाहियों से कह कर तुलसीदास जी को कारागार में डलवा दिया। तुलसीदास जी ने तनिक भी प्रतिक्रिया नहीं दी और राम का नाम जपते हुए कारागार में चले गए। उन्होंने कारागार में भी अपनी आस्था बनाए रखी और वहां रह कर ही हनुमान चालीसा की रचना की और लगातार 40 दिन तक उसका निरंतर पाठ किया।

हनुमान चालीसा चमत्कार

चालीसवें दिन एक चमत्कार हुआ। हजारों बंदरों ने एक साथ अकबर के राज्य पर हमला बोल दिया। अचानक हुए इस हमले से सब अचंभित हो गए। अकबर एक सूझवान बादशाह था इसलिए इसका कारण समझते देर न लगी।  उसे भक्ति की महिमा समझ में आ गई। उसने उसी क्षण तुलसीदास जी से क्षमा मांग कर कारागार से मुक्त किया और आदर सहित उन्हें विदा किया। इतना ही नहीं अकबर ने उस दिन के बाद तुलसीदास जी से जीवनभर मित्रता निभाई।

इस तरह तुलसीदास जी ने एक व्यक्ति को कठिनाई की घड़ी से निकलने के लिए हनुमान चालीसा के रूप में एक ऐसा रास्ता दिया है। जिस पर चल कर हम किसी भी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह हमें भी भगवान में अपनी आस्था को बरक़रार रखना चाहिए। ये दुनिया एक उम्मीद पर टिकी है। अगर विश्वास ही न हो तो हम दुनिया का कोई भी काम नहीं कर सकते।

क्लिक करें और पढ़ें अप्रतिम ब्लॉग पर अन्य धार्मिक रचनाएँ :-

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33 comments

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Ashutosh Tiwari जून 1, 2021 - 9:34 पूर्वाह्न

Shwetabh Pathak ji aapko gyan hai atiuttam hai lakin anya tathya bhi sastra sammat hi hai aalochna ka adhikaar kisi ko nhi qki vaastvikta na hme gyaat hai na aapko hm sab sirf saastra ke antargat di hui baate hi rakh sakte hai kisi ko gyaan de nhi sakte,,,

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दपसा वीरवडा ( राज) मई 15, 2021 - 9:25 अपराह्न

बेवकूफ बनाना बन्ध करो , स्तय लिखो , तुलसी दास जी के समय में अकबर कहासे आया ।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 16, 2021 - 2:08 अपराह्न

उनके हिसाब से तो शायद अल्लाह के पास से आये थे। वैसे अगर विकिपीडिया पर आप देखें तो पता चलेगा कि अकबर तुलसीदास जी से 10 साल ही छोटे थे।

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Ashoke Kumar pandey मार्च 21, 2020 - 11:22 पूर्वाह्न

Sahi Kahi tulsidaas ji ki kahani aapne

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Avinesh अक्टूबर 19, 2019 - 4:30 अपराह्न

मेरे साथ भी हुआ भाई ।जय श्रीराम जय श्रीहनुमान

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राज। मार्च 12, 2019 - 2:18 अपराह्न

ऊर्जा और बुद्धि को दूसरे निर्माण कार्य में लगाये न कि अनजानी, चिजो में। क्या पायेंगे आप इन बातों को सिद्ध करके, थोड़ी धार्मिक मान्यता बढेगी यही ना…., साहब! ऐसे भी कम मान्यता नहीं है………

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 12, 2019 - 3:52 अपराह्न

आपने क्या पाया राज जी पढ़ कर ??

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सत्यम पाण्डेय अक्टूबर 22, 2022 - 2:26 पूर्वाह्न

भाई साहब आप बहुत बुद्धिमान व्यक्ति है आप जैसा बुद्धिमान व्यक्ति नही देखा कही
जय सीता राम

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Amar Soni फ़रवरी 13, 2019 - 7:58 पूर्वाह्न

Ati uttam

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 14, 2019 - 7:06 अपराह्न

Thanks Amar Soni ji…

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Sunil soni दिसम्बर 4, 2018 - 9:30 अपराह्न

Bahut sundar jay sri ram

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NABAB SINGH सितम्बर 4, 2018 - 11:59 अपराह्न

Very super information I like it

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 5, 2018 - 8:56 अपराह्न

Thanks Nabab Singh ji…..

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Shwetabh Pathak जनवरी 13, 2018 - 3:49 अपराह्न

कभी ऐसे कथा कहानियों का निर्माण न करें जिससे भोली भाली जनता गुमराह हो सके !

आपकी यह कथा कहानी एकमात्र वेद शास्त्रों के सिद्धांतों को गलत सिद्ध करती हैं !

कृपया लोगों को गुमराह करने का कार्य न करें !

मृत्यु को टालना संत , महापुरुष या स्वयं भगवान् के वश की बात नहीं हैं ! भगवान् भी अपने क़ानून या सिद्धांत के खिलाफ नहीं जाते !

अगर ऐसा होता तो भगवान् राम के हाथ में ही जटायु ने प्राण त्याग दिया ! रजा दशरथ मृत्यु को प्राप्त हुए !

भगवान् कृष्ण के समय उत्तरा विधवा हो जाती है ! स्वयं मामा कृष्ण अभिमन्यु को नहीं बचा पाते हैं ! वेदव्यास जैसे भगवान् के अवतार ने उत्तरा एवं अभिमन्यु का विवाह करवाया ! द्रौपदी एवं पांडवों के पाँचों पुत्र मार दिए जाते हैं !

बहुत से उदाहरण हैं !

पर आप इन कपोल कल्पित कथानकों से मानव जाति को दिग्भ्रमित कर रहे हैं और सनातन धर्म में प्रतिपादित सिद्धांतों का मजाक उड़ा रहे हैं !

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 13, 2018 - 7:16 अपराह्न

लगता है आपने सनातन धर्म मे सावित्री की कथा नहीं पढ़ी जिसमे वो यमराज से अपने पति को वापस मांग लायी थी। इसके साथ शायद आपने सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र की भी कथा नहीं पढ़ी। जिसमें उनके पुत्र रोहित की भी मृत्यु हो गयी थी। उदाहरण दोनों पक्ष का देना देना चाहिए। यदि आपने कथाएं नहीं पढ़ी तो आप आलोचना के भी अधिकारी नहीं हैं। हाँ एक और उदाहरण है जिसमें परशुराम जी ने अपनी माता व भाइयों को परशु से मार दिया था। अगर इसके बाद भी आपके पास कोई तर्क है तो हम सुन ने को तैयार हैं। ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद। आशा करता हूँ आप फिर से आएंगे।

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Pawan kumar verma जनवरी 11, 2018 - 5:02 अपराह्न

duniya ki Rachna Kaise hui thi

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 11, 2018 - 6:22 अपराह्न

इसके लिए आप हमारे ब्लॉग की रचना पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ पढ़ सकते हैं।

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Pawan kumar verma जनवरी 11, 2018 - 5:00 अपराह्न

Jai Bajrangbali

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Dharmveer singh दिसम्बर 22, 2017 - 2:13 अपराह्न

Jay shree ram

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 22, 2017 - 10:29 अपराह्न

जय श्री राम…..

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Vikram kumar जुलाई 12, 2017 - 3:05 पूर्वाह्न

nice

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 13, 2017 - 2:23 अपराह्न

Thanks Vikram Kumar…

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adeep kumar मई 6, 2017 - 11:33 अपराह्न

ram ji mare PETA ji ki death Jo gaye hai kus aise batiya jes sai muja bapes mila made peta

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 11, 2017 - 7:15 अपराह्न

Deep जी इस आपके पापा कहीं नहीं गए हैं… हम आपकी भावनाओं की कदर करते है…मगर इस तरह आप खुद दुखी होकर अपने पिता जी को भी दुखी कर रहे हैं… वो कहीं नहीं गए महसूस कर के देखिये वो हर पल आप के पास हैं……जिन्दगी में आगे बढ़ने की कोशिश कीजिये…

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Avnish नवम्बर 22, 2016 - 1:29 पूर्वाह्न

Nice lines

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Mr. Genius
Mr. Genius नवम्बर 22, 2016 - 6:55 पूर्वाह्न

Thanks Avnish bro…..

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Avnish नवम्बर 22, 2016 - 1:27 पूर्वाह्न

Nice

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rajneesh नवम्बर 21, 2016 - 6:46 अपराह्न

Bahut hi kubsurat

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Mr. Genius
Mr. Genius नवम्बर 21, 2016 - 7:37 अपराह्न

Dhanyawad Rajneesh ji….

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Ajay Sharma जुलाई 25, 2016 - 5:02 अपराह्न

Very heartfull and senses.

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Mr. Genius
Mr. Genius जुलाई 25, 2016 - 5:19 अपराह्न

Thanks Ajay Bro…

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Avi जुलाई 9, 2016 - 7:50 अपराह्न

Very nice

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Mr. Genius
Mr. Genius जुलाई 9, 2016 - 8:48 अपराह्न

Thanks Avi

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