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बसंत पंचमी पर लेख निबंध और भाषण | Basant Panchami Par Lekh Speech

by Sandeep Kumar Singh
9 minutes read

बसंत पंचमी पर लेख :- वसंत ऋतु में हमारे जीवन में एक अद्भुत शक्ति लेकर आती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसी ऋतु में ही पुराने वर्ष का अंत होता है और नए वर्ष की शुरुआत होती है। इस ऋतु के आते ही चारों तरफ हरियाली छाने लगती है। सभी पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं।

आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं हैं और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं हैं। इसी स्वाभाव के कारन इस ऋतु को ऋतुराज कहा गया है। इस ऋतु का स्वागत बसंत पंचमी या श्रीपंचमी के उत्सव से किया जाता है।

बसंत पंचमी पर लेख

बसंत पंचमी पर लेख निबंध और भाषण | Basant Panchami Par Lekh Speech

बसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव है। माघ महीने की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी होती है तथा इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत का अर्थ है वसंत ऋतू और पंचमी का अर्थ है शुक्ल पक्ष का पांचवां दिन। वसंत पंचमी या श्रीपंचमी यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है।

जिस प्रकार मनुष्य जीवन में यौवन आता है उसी प्रकार बसंत इस सृष्टि का यौवन है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ कहकर ऋतुराज बसंत को अपनी विभूति माना है। बसंत ऋतु का हमारे जीवन में और भी बहुत महत्त्व है लेकिन उस से पहले आइये जान लेते हैं वसंत पंचमी या श्रीपंचमी से जुड़े कुछ पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्य :-

पौराणिक इतिहास

कैसे हुआ देवी सरस्वती का जन्म ? क्यों की जाती है देवी सरस्वती की पूजा ?

कहा जाता है जब ब्रह्मा जी ने जिस समय भगवान् विष्णु की आज्ञा पाकर सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की उस समय चारों ओर शांति ही शांति थी। किसी भी प्रकार की कोई ध्वनि किसी भी ओर नहीं थी। बिना ध्वनि के विष्णु और ब्रह्मा जी को ये रचना कुछ अधूरी प्रतीत हुयी। उसी समय ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का।

जल छिड़कने के बाद वृक्षों के बीच एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुयी। जिन्हें हम देवी सरस्वती के नाम से जानते हैं। जिसके 4 हाथ थे। एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा जी के अनुरोध पर जैसे ही देवी सरस्वती ने वीणा बजायी सारे संसार को वाणी की प्राप्ति हो गयी।

इसी कारन ब्रह्मा जी  ने देवी सरस्वती को देवी की वाणी कहा। ये सब बसंत पंचमी के दिन ही हुआ था। विद्या की देवी सरस्वती से ही हमें बुद्धि व ज्ञान की प्राप्ति होती है। हमारी चेतना का आधार देवी सरस्वती को ही माना जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने वाली देवी सरस्वती को संगीत की देवी भी कहा जाता है।

इन सब कारणों के इलावा देवी सरस्वती की पूजा का एक कारन यह भी मन जाता है कि भगवान् विष्णु ने भी देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें ये वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा की जायेगी।

सबसे पहले श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किया था, तब से बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का प्रचलन है। फलस्वरूप आज भारत के एक बड़े हिस्से में देवी सरस्वती की आराधना बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से होती है।

क्या है भगवान राम का नाता ?

ये तब की बात है जब रावण ने सीता का हरण कर लिया था और राम उनकी खोज में दक्षिण की ओर  बढ़ रहे थे। सीता को ढूंढते-ढूंढते वे दंडकारण्य पहुंचे। यह स्थान गुजरात में हैं। यह दिन बसंत पंचमी का ही दिन था। उसी वन में शबरी ना की भीलनी रहती थी। जो बहुत समय से भगवान् राम की प्रतीक्षा कर रही थी।

जब राम ने शबरी को दर्शन दिए तो उसके पास कुटिया में भगवान् राम को खिलाने के लिए कुछ नहीं था। थोड़े से बेर उसने रखे हुए थे। प्रभु को खट्टे बेर न खाने पड़े इसलिए वह सभी बेर चख-चख कर देने लगी। राम जिस शिला पर उस समय बैठे थे उसे आज भी यहाँ के लोग पूजते हैं। यहाँ पर माता शबरी का एक मंदिर भी है। यह घटना भी बसंत पंचमी वाले दिन ही घटित हुयी थी।

क्या है पीले रंग में रंगने का राज ? क्यों पहने जाते हैं पीले रंग के कपड़े ?

पीला रंग हिन्दुओं का शुभ रंग होता है। बसंत ऋतु के आरंभ में हर ओर पीलाही रंग नजर आता है। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के चावल बनाये जाते है। पीले लड्डू और केसरयुक्त खीर बनायीं आती है। खेतों में सरसों के फूल पीले रंग को प्रदर्शित करते हैं। हल्दी व चन्दन का तिलक लगे जाता है। सभी लोग ज्यादातर पीले रंग के ही कपड़े पहनते हैं।

ऐतिहासिक तथ्य

मुहम्मद गौरी का अंत

पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी के युद्ध के बारे में शायद ही कोई ना जानता हो। लेकिन क्या आपको पता है कि पृथ्वीराज चौहान ने 16 बार मुहम्मद गौरी को युद्ध में हराया था और उस पर दया कर उसे जीवनदान दे दिया था। इसके बाद भी मुहम्मद गौरी ने अपनी नीचता का त्याग न करते हुए 17वीं बार फिर हमला किया और पृथ्वीराज चौहान व उनके साथी कवी चंदरबरदाई को कैद कर पाने साथ अफ़ग़ानिस्तान ले गया। वहां उसने पृथ्वीराज चौहान की आँखें फोड़ दीं।

मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को मृत्युदंड दिया। किन्तु उस से पहले उसने पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी बाण चलाने की कला को देखने की इच्छा जताई। उसके बाद जो हुआ उस से कोई भी अनजान नहीं है। पृथ्वीराज चौहान ने मौके का फ़ायदा उठाया और साथी कवी चंदरबरदाई के इस संकेत :-

चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥

को पाकर जरा भी देर न की और बाण सीधा मुहम्मद गौरी के सीने में उतार दिया। और फिर दोनों ने एक दूसरे के पेट में छूरा घोंप कर अपना बलिदान दे दिया। यह घटना भी बसंत पंचमी के दिन की ही है।

साहित्यिक इतिहास

जन्म दिवस

वसंत पंचमी हिन्दी साहित्य की अमर विभूति- महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्मदिवस (28.02.1899) भी है। निराला जी के मन में निर्धनों के प्रति अपार प्रेम और पीड़ा थी। वे अपने पैसे और वस्त्र खुले मन से निर्धनों को दे डालते थे। इस कारण लोग उन्हें ‘महाप्राण’ कहते थे।

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आपको ” बसंत पंचमी पर लेख ” में दी गयी जानकारियां कैसी लगी? अपने विचार हम तक जरूर पहुंचाए।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

7 comments

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Amar Prasad जनवरी 26, 2023 - 8:41 पूर्वाह्न

Bahut badhiya……ji

Nice content…

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Mahi yadav जनवरी 25, 2023 - 6:34 अपराह्न

Very nice 👍🙂

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yogiraj vyas फ़रवरी 16, 2021 - 3:27 अपराह्न

aapki is jankari se muze bhut achha lga. Thank you sir for information.

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HindIndia जनवरी 2, 2017 - 6:37 अपराह्न

नये साल के शुभ अवसर पर आपको और सभी पाठको को नए साल की कोटि-कोटि शुभकामनायें और बधाईयां। Nice Post ….. Thank you so much!! :) :)

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Chandan Bais
Chandan Bais जनवरी 4, 2017 - 8:21 पूर्वाह्न

धन्यवाद HindIndia जी आपको भी बधाइयाँ..!

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Pramod Kharkwal जनवरी 2, 2017 - 12:42 अपराह्न

बहुत अच्छी जानकारियों के साथ दिया गया निबन्ध है। धन्यवाद।

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Chandan Bais
Chandan Bais जनवरी 4, 2017 - 8:23 पूर्वाह्न

पाठको को पसंद आये यही हमारी कोशिश है, धन्यवाद प्रमोद जी हमारे साथ बने रहने के लिए..!

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