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अगर-मगर – पिछली गलतियों का अहसास कर भविष्य सुधारने की कविता

by Sandeep Kumar Singh
4 minutes read

अकसर जिंदगी में हम बीते समय में कुछ सही न कर वर्तमान में अफ़सोस जताते हैं। बीता हुए समय को सोच हम कहते हैं :- अगर ऐसा होता तो ये होता, वैसा होता तो वो होता। लेकिन बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता फिर हम वर्तमान के लिए कहते हैं :- मगर अभी मेरे पास वक़्त है। मैं इस वक़्त के साथ चल कर अपना आने वाला कल बदलूंगा। इसी परिस्थिति को दर्शाती कविता “ अगर-मगर ” आपके सामने पेश कर रहे हैं :-


अगर-मगर

अगर-मगर - पिछली गलतियों का अहसास कर भविष्य सुधारने की कविता

अगर मैं चलता रहता राहों पर
तो मंजिल मिल भी सकती थी
कोशिशें करता रहता हर पल तो
ये मजबूत चट्टानें हिल भी सकती थीं,
हवाएं खिलाफ थीं मेरे तो क्या हुआ
तूफानों में किश्ती मेरी चल भी सकती थी

बहुत हमसफ़र मिले थे मुझे
कारवां आगे बढ़ाने को
हाथ एक का भी थामा होता तो
किस्मत बदल भी सकती थी।
आसमान की चाह में
ज़मीन छोड़ दी थी मैंने
उड़ान थोड़ी जान से भरी होती तो
हौसलों की आग सीने में जल भी सकती थी
वक़्त दौड़ रहा था मेरे आगे-आगे
साथ चलता तो मुसीबत निकल भी सकती थी।

मगर शुक्रगुजार हूं रब का
कि अभी मेरे शरीर में जान बाकी है
खो चुका हूँ बहुत कुछ लेकिन
सब वापस पाने का अरमान अभी बाकी है

सफर जारी रखूँगा मैं, निशान अपने क़दमों के
मंजिल तक पहुँचाने को
मजबूत इरादे ही काफी हैं मेरे
बड़ी-बड़ी चट्टानों को हिलाने को
बाज ही निकलते हैं तूफानों में अकसर
पंछी मुड़ जाते हैं अपने आशियाने को

जरूरी नहीं की सहारा मिल ही जाए रास्तों में
सर पे जुनून मंजिल का काफी है दीवानों को
कदम जमीन पर और सिर आसमानों से ऊंचा है
दिखाना है अपना वजूद ज़माने को
चाल मिला रहा हूँ वक़्त से मैं आज-कल
अपने जीवन से हर दुःख तकलीफ मिटाने को।


आपको यह कविता कैसी लगी अपने विचार हम तक जरूर पहुंचाएं। और ये कविता दूसरों तक भी शेयर करें,

पढ़िए अहसास से जुड़ी अप्रतिम ब्लॉग की कुछ अन्य रचनाएं :-

धन्यवाद।

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4 comments

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Numesh Bhatt जनवरी 15, 2018 - 9:22 पूर्वाह्न

So deep ?????

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 15, 2018 - 1:12 अपराह्न

Thanks Numesh Bhatt Ji..

Reply
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Chandrakant Dubey सितम्बर 25, 2017 - 2:31 अपराह्न

आपने जो लिखा व दर्शाया उसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ऎसे ही लिखते रहें… कभी सास के प्रति बहु का कर्तव्य व बहु के प्रति सास का फ़र्ज जैसी प्रेरक कविता या लघु कथा अवश्य लिखें अच्छा लगेगा…

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 25, 2017 - 4:42 अपराह्न

अवश्य Chandrakant Dubey जी, हम प्रयास करेंगे की ऐसी कोई रचना पाठकों के लिए लेकर आयें। इसी तरह अपने विचार हम तक पहुंचाते रहें। धन्यवाद।

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